उत्तराखंड में मस्जिद विवाद: महापंचायत का ऐलान, 4 नवंबर को होगा निर्णय
उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर उत्पन्न विवाद के चलते तनाव का माहौल बना हुआ है। इस मामले में व्यापारियों ने पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के विरोध में बाजार को बंद रखा। मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने नहीं पहुंचे, जबकि हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विश्वनाथ मंदिर परिसर में पुलिस के खिलाफ हंगामा किया। इसी बीच, 4 नवंबर को हिंदू महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया गया है।
विवाद की शुरुआत और तनावपूर्ण स्थिति
उत्तरकाशी में पिछले दो महीनों से 37 वर्ष पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है। 24 अक्टूबर को संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ ने एक जुलूस निकाला था, जिसके दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस घटना के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके।
हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को विश्वनाथ मंदिर परिसर में एक बैठक की, जिसमें 4 नवंबर को महापंचायत का ऐलान किया गया। इस बैठक में शामिल लोगों ने स्पष्ट किया कि अगर मस्जिद में नमाज अदा की गई, तो उग्र आंदोलन होगा। इसी चेतावनी के बाद पुलिस भी अलर्ट हो गई।
कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कोतवाली उत्तरकाशी में हिंदू संगठन के 8 नामजद कार्यकर्ताओं समेत 200 लोगों पर हत्या के प्रयास सहित 14 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि, अभी तक इस मामले में पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की है।
बाजार में तनाव को देखते हुए व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया। जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों में व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने बंद का समर्थन किया। सब्जी मंडी के व्यापारियों ने भी अपनी मंडी को बंद रखा।
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महापंचायत की तैयारियां और समुदाय की प्रतिक्रिया
शुक्रवार की सुबह उत्तरकाशी में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए टिहरी गढ़वाल, हरिद्वार और देहरादून से पुलिस बल भेजा गया। दोपहर 12 बजे, विश्वनाथ मंदिर परिसर में हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं की एकत्रित भीड़ ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए हंगामा किया। कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह ने उन्हें चेतावनी दी, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
मुस्लिम समुदाय ने घरों में नमाज पढ़ने की अपील की थी, जिसके कारण वे मस्जिद नहीं गए। शुक्रवार की देर शाम तक स्थिति में थोड़ी शांति आई, लेकिन 4 नवंबर को महापंचायत का ऐलान स्थिति को फिर से उत्तेजित कर सकता है। यह विवाद उत्तरकाशी की सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को चुनौती दे रहा है, और सभी की नजरें अब 4 नवंबर पर टिकी हुई हैं।