Supreme Court का ऐतिहासिक फैसला, मनमानी बुलडोजर कार्रवाई पर लगी रोक
Supreme Court ने एक ऐतिहासिक फैसले में बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई को कानूनविहीनता और अराजकता करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि हमारे संविधान में ऐसी मनमानी कार्रवाई का कोई स्थान नहीं है और इसे रोकना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपित या दोषी व्यक्ति की संपत्ति (जैसे घर, दुकान या ऑफिस) को बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ध्वस्त करना असंवैधानिक है। कार्यपालिका को न्यायाधीश बनकर लोगों को दंड देने का अधिकार नहीं है।
देशभर में दिशा-निर्देश जारी, 15 दिन का नोटिस और सुनवाई का अवसर अनिवार्य
कोर्ट ने देशभर के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि किसी भी संपत्ति को ढहाने से पहले 15 दिन का नोटिस और सुनवाई का मौका देना आवश्यक है। हालांकि, यह आदेश सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा, जिनके खिलाफ कार्रवाई जारी रखी जा सकती है।
मौलिक अधिकार का हिस्सा है घर, कोर्ट का विस्तृत आदेश
Supreme Court ने अपने 95 पृष्ठों के आदेश में कहा कि घर व्यक्ति के जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है और इस तरह की मनमानी कार्रवाई संविधान में मिले इस अधिकार का उल्लंघन है। किसी भी व्यक्ति का आश्रय स्थल बिना कानूनी प्रक्रिया के नष्ट नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है और उन्हें ध्वस्त की गई संपत्ति के पुनर्निर्माण का खर्च अपनी जेब से देना होगा। इसके साथ ही क्षतिपूर्ति का भी भुगतान करना होगा।
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निगरानी के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति और पोर्टल पर नोटिस अपलोड अनिवार्य
सभी जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त कर हर नोटिस को डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। ध्वस्तीकरण से पहले नोटिस संपत्ति के मालिक को पंजीकृत डाक से भेजना और परिसर के बाहरी हिस्से पर चिपकाना भी जरूरी होगा। प्रत्येक निकाय और स्थानीय प्राधिकरण को तीन माह में एक डिजिटल पोर्टल बनाना होगा, जिसमें सेवा किए गए नोटिस, कारण बताओ नोटिस, उत्तर, और उस पर पारित आदेश को उपलब्ध कराना होगा।
सुनवाई के बाद नामित प्राधिकारी द्वारा अंतिम आदेश
सुनवाई के बाद नामित प्राधिकारी द्वारा अंतिम आदेश जारी होगा, जिसमें अनधिकृत निर्माण शमन योग्य होने या नहीं होने का विवरण भी शामिल करना होगा। यदि शमन संभव नहीं है तो उसके कारणों को स्पष्ट करना होगा। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना और इसकी रिपोर्ट नगर आयुक्त को ई-मेल से भेजने के साथ-साथ डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित करना आवश्यक होगा।