देश में ‘One Nation, One Election’ की पहल को आज मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट आज कैबिनेट को सौंप दी, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृत कर लिया गया। हालांकि, इस प्रस्ताव को पूरी तरह से लागू करने के लिए संविधान संशोधन और राज्यों की मंजूरी आवश्यक होगी, जिससे आगे का रास्ता आसान नहीं रहेगा।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ‘One Nation, One Election’ पर आधारित रिपोर्ट को आज नरेंद्र मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। अब यह उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार इस प्रस्तावित बिल को शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करेगी। यह बिल संविधान संशोधन से संबंधित होगा, इसलिए इसे लागू करने के लिए राज्यों की भी सहमति जरूरी होगी। 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने ‘One Nation, One Election’ का वादा किया था, जिसे अब वास्तविकता बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
मार्च में, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में पैनल ने ‘One Nation, One Election’ पर अपनी 18,626 पेज वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कैबिनेट से मंजूरी के संकेत एक दिन पहले ही मिल गए थे, जब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार 3.0 के कार्यकाल के दौरान अगले पांच वर्षों में ‘One Nation, One Election’ लागू किया जाएगा। शाह ने बताया था कि इस कार्यकाल के दौरान इस योजना को पूरा करने की तैयारी चल रही है। पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘One Nation, One Election’ का उल्लेख किया था, और बताया था कि लगातार चुनाव देश के विकास की गति को धीमा कर रहे थे।
बीजेपी के सहयोगी दलों ने ‘One Nation, One Election’ की योजना का औपचारिक रूप से समर्थन किया है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि जेडीयू एनडीए की इस योजना का पूरी तरह समर्थन करता है। उनका मानना है कि इससे देश को लगातार चुनावों की समस्या से राहत मिलेगी और केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। वहीं, विपक्षी दलों ने इस योजना का विरोध किया है, इसे लेकर विभिन्न चिंताओं और आपत्तियों का इजहार किया है।