हिमाचल प्रदेश से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी हो चुकी है, लेकिन मंगलवार देर रात मनाली के धुंधी क्षेत्र में हुए भारी भूस्खलन के कारण मनाली-लेह मार्ग लगभग 12 घंटे तक बंद रहा। वहीं, बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। नेपाल में हो रही मूसलाधार बारिश ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों और सैकड़ों गांवों को जलमग्न कर दिया है। नदियां उफान पर हैं, और लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद राहत और बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और सेना को भी बचाव कार्यों में लगाया गया है। नेपाल में बारिश से जुड़ी घटनाओं में छह लोगों की मौत हो चुकी है।
मनाली से मिली रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार देर रात करीब 12 बजे धुंधी में भारी भूस्खलन हुआ, जिससे सड़क पर भारी मात्रा में मलबा और चट्टानें आ गिरीं। इसके कारण दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई और पर्यटक व स्थानीय लोग फंस गए। पुलिस ने वाहनों को रोहतांग दर्रे के रास्ते आगे भेजा। बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे बीआरओ ने सड़क को एकतरफा यातायात के लिए खोल दिया। सिरमौर जिले में राजगढ़ के पास पैरवीपुल पर एक ट्राले के टायर सड़क से बाहर निकल जाने के कारण नेरीपुल-सोलन मार्ग रात तीन बजे से बंद हो गया था, जिसे बुधवार दोपहर तीन बजे बहाल किया गया। हिमाचल प्रदेश से आठ दिन की देरी से बुधवार को मानसून विदा हुआ। इस साल प्रदेश में सामान्य से 18 प्रतिशत कम बारिश हुई। जून, जुलाई, और अगस्त में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई, जबकि सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई।
बिहार में कोसी और गंडक नदियों ने तबाही मचाई हुई है। नेपाल से आने वाली ये नदियां अपने साथ भारी मात्रा में पानी लेकर आती हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। खासतौर पर पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिलों में बाढ़ की स्थिति बेहद गंभीर है।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, 12 जिलों में बाढ़ से 10 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। अब तक दो लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि करीब 60 हजार लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं।
नेपाल सरकार ने कोसी और बागमती प्रांतों के साथ काठमांडू में भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। अब तक नेपाल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 240 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसका असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है।