ट्रंप का टैरिफ फैसला बदला, 75 देशों को राहत लेकिन चीन पर सख्ती बरकरार
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर बड़ा फैसला बदलते हुए 75 देशों को राहत दे दी है, लेकिन चीन के लिए यह राहत नहीं है। ट्रंप ने इन 75 देशों पर लगाए गए टैरिफ को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है, लेकिन चीन पर लगाए गए टैरिफ को और सख्त कर दिया गया है।
चीन को नहीं मिली राहत, टैरिफ और बढ़ाया
ट्रंप ने चीन पर पहले से लगाए गए 104% टैरिफ को बढ़ाकर अब 125% कर दिया है। यह निर्णय चीन द्वारा अमेरिका पर 84% टैरिफ लगाने के जवाब में लिया गया। ट्रंप ने साफ कहा कि चीन की नीतियों और व्यापारिक रुख को देखते हुए उस पर और कड़ा रुख अपनाना जरूरी है।
7 दिन में पलटा फैसला, क्यों?
टैरिफ लगाने के कुछ ही दिनों के भीतर अमेरिका समेत कई देशों की शेयर मार्केट में भारी गिरावट दर्ज की गई। इससे वैश्विक महंगाई और मंदी का खतरा मंडराने लगा। अमेरिकी बाजार को भी इस झटके का असर महसूस हुआ। इस आर्थिक अस्थिरता और बढ़ती महंगाई को देखते हुए ट्रंप को टैरिफ पर अपना रुख नरम करना पड़ा।
अन्य देशों से बातचीत बनी वजह
अमेरिका ने जिन 75 देशों पर टैरिफ लगाया था, उनके नेताओं ने ट्रंप से बातचीत कर व्यापारिक समझौते की नई शर्तों पर चर्चा की। ट्रंप ने बताया कि इन देशों के साथ सकारात्मक संवाद हुआ है और उन्होंने अमेरिका की नीतियों के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई न करने का आश्वासन दिया है। इसी के चलते 90 दिनों की राहत दी गई है ताकि नए व्यापारिक समझौतों पर काम हो सके।
10% टैरिफ रहेगा सहयोगी देशों के लिए
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जो देश अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते करने को तैयार होंगे, उनके लिए टैरिफ केवल 10% रहेगा। इससे सहयोगी देशों को राहत मिलेगी और अमेरिका को नए व्यापारिक अवसर मिलेंगे।
टैरिफ हटाने के पीछे छिपे ये कारण
- आर्थिक मंदी का खतरा: टैरिफ के कारण महंगाई और बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही थी, जिससे अमेरिका में आर्थिक अस्थिरता बढ़ने लगी थी।
- राजनीतिक दबाव: ट्रंप की खुद की पार्टी और बड़े उद्योगपति जैसे एलन मस्क ने टैरिफ को असंवैधानिक और खतरनाक बताया।
- तेल और डॉलर पर असर: क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी बॉन्ड की बिक्री से बाजार में डर का माहौल बन गया।
- अंतरराष्ट्रीय असर: अमेरिका की मार्केट में $3.1 लाख करोड़ की बढ़त जरूर हुई, लेकिन वैश्विक बाजार में $10 लाख करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
- चीन से सप्लाई महंगी: चीन पर ज्यादा टैरिफ लगने से अमेरिकी कंपनियों को वैकल्पिक सप्लायर ढूंढ़ने में दिक्कत हो रही थी, क्योंकि बाकी देशों पर भी शुल्क लगा था।
इस तरह, ट्रंप को अपने टैरिफ फैसले में बदलाव करना पड़ा, हालांकि चीन के मामले में उन्होंने कोई नरमी नहीं दिखाई। अब 90 दिन की इस मोहलत के दौरान अमेरिका अन्य देशों के साथ व्यापारिक समीकरण फिर से तय करेगा।