तीस्ता नदी जल प्रबंधन पर भारत को झटका, बांग्लादेश ने चीन को सौंपा प्रोजेक्ट
यूनुस सरकार का नया फैसला
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने तीस्ता नदी जल प्रबंधन का ठेका चीन की कंपनियों को देने का निर्णय लिया है। यह भारत के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि यह नदी पश्चिम बंगाल और सिक्किम से होकर बहती है। यूनुस ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात कर इस संबंध में नौ अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें से कुछ समझौते भारत के हितों पर असर डाल सकते हैं।
भारत-बांग्लादेश की पुरानी सहमति
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 22 जून 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान तीस्ता नदी जल प्रबंधन का कार्यभार भारत को सौंपने का आश्वासन दिया था। दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई थी कि जल्द ही एक भारतीय टीम ढाका जाकर इस प्रोजेक्ट की विस्तृत योजना तैयार करेगी। लेकिन अब अंतरिम सरकार ने इस फैसले को पलट दिया है।
मोंगला पोर्ट पर भी पलटी बाजी
यूनुस सरकार ने न केवल तीस्ता नदी प्रोजेक्ट बल्कि मोंगला बंदरगाह के विकास के लिए भारत के साथ बनी सहमति को भी रद्द करने की मंशा जाहिर की है। पहले भारत, बांग्लादेश के साथ मिलकर इस पोर्ट को अपग्रेड करने की योजना बना रहा था, लेकिन अब चीन इसमें बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है।
चीन को मिल रहा है बांग्लादेश में बड़ा दखल
यूनुस सरकार की नीतियां चीन को बांग्लादेश में और गहराई से स्थापित कर रही हैं। भारत अब तक अपने पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के साथ सहयोग करता आ रहा था, लेकिन अब चीन को चटगांव पोर्ट के पास अपने प्रभाव का विस्तार करने का मौका मिल रहा है।
बांग्लादेशी मरीजों को लुभाने की चीन की चाल
भारत में हर साल बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक इलाज के लिए आते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए वीजा नियमों में ढील देने और सीमा पर ही चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई थी। अब चीन ने भी बांग्लादेशी नागरिकों के लिए अपने यूनान प्रांत में मेडिकल सुविधाएं देने की घोषणा कर दी है।
तीस्ता नदी का महत्व और चीन की रणनीति
तीस्ता नदी का प्रबंधन चीन को मिलने का अर्थ है कि इस नदी का पूरा डेटा—जल प्रवाह, खनिज संरचना और अन्य संवेदनशील जानकारियां—चीन के हाथ में चली जाएंगी। यह भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
हसीना सरकार की पुरानी योजना
तीस्ता नदी की सफाई और पुनरुद्धार के लिए हसीना सरकार ने तीन साल पहले एक योजना बनाई थी, जिसकी लागत करीब 8300 करोड़ रुपये थी। चीन ने इस प्रोजेक्ट को खुद की लागत पर पूरा करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, भारत को इसके भू-राजनीतिक प्रभावों को लेकर पहले से ही चिंता थी।
हसीना को बीजिंग में नहीं मिला समर्थन
शेख हसीना ने जून 2024 में भारत से तीस्ता प्रोजेक्ट का वादा किया था, लेकिन जुलाई में जब वे चीन गईं, तो वहां उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। इसके बाद कुछ ही महीनों में उनका तख्तापलट हो गया और यूनुस की सरकार बनी, जिसने चीन के साथ यह नया करार किया।
बांग्लादेश में चीनी निवेश का बढ़ता प्रभाव
चीन न केवल तीस्ता परियोजना बल्कि बांग्लादेश में विशेष औद्योगिक आर्थिक क्षेत्रों के विकास में भी सहयोग कर रहा है। शी चिनफिंग ने ऐलान किया कि चीन बांग्लादेशी वस्तुओं पर टैरिफ छूट 2028 तक जारी रखेगा और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में कदम बढ़ाएगा।
भारत के लिए क्या होंगे प्रभाव?
यूनुस सरकार के इस कदम से भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर असर पड़ सकता है। तीस्ता जल प्रबंधन चीन को मिलने से भारत की रणनीतिक चिंताएं बढ़ सकती हैं, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा के नजरिए से भी यह एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।