भारत के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार की रात, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 86 वर्षीय रतन टाटा ने अपने जीवन में सफलता के कई शिखर हासिल किए। देश का हर बड़ा व्यापारी उनके जैसी सफलता की चाह रखता है। रतन टाटा एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनका कोई दुश्मन नहीं रहा। यही कारण है कि उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उद्योग जगत में रतन टाटा का नाम आदर के साथ लिया जाता है। आज, उनके न रहने पर, हम उनकी सफलता की कहानी को पुनः साझा करेंगे और जानेंगे कि रतन टाटा ने सफलता का स्वाद कैसे चखा।
टाटा समूह की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया
रतन टाटा ने अपने जन्म के 25 वर्ष बाद टाटा ग्रुप में प्रवेश किया। यहाँ उन्होंने कंपनी के विभिन्न स्तरों पर काम करके अनुभव हासिल किया। उनका करियर उद्योग के कई क्षेत्रों में चुनौतियों के साथ शुरू हुआ, लेकिन उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने उन्हें नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। 1991 में, जेआरडी टाटा के बाद उन्होंने समूह की बागडोर संभाली और टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना दिया।
फिर मिली पहचान
उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिनमें 2000 में टेटली का अधिग्रहण शामिल है, जिसने टाटा ग्लोबल बेवरेजेज का गठन किया। 2007 में कोरस ग्रुप का अधिग्रहण किया गया, जिससे टाटा स्टील दुनिया की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनियों में से एक बन गई। इसके अलावा, 2008 में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण कर टाटा मोटर्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली।
प्रमुख परियोजनाएं
1996 में, टाटा ने समूह की दूरसंचार शाखा, टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की, और 2004 में, उन्होंने समूह की आईटी कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम का नेतृत्व किया। 2012 में अध्यक्ष पद से हटने के बाद, टाटा ने टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स जैसी कई टाटा कंपनियों के लिए मानद अध्यक्ष का पद बनाए रखा। उनके नेतृत्व में टाटा समूह के विकास और वैश्वीकरण की गति बढ़ी, जिससे नई सहस्राब्दी में कई उच्च-प्रोफाइल अधिग्रहण देखने को मिले। इनमें टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर जैसे महत्वपूर्ण नाम शामिल हैं।
बड़े समूहों को साथ लिया
रतन टाटा के नेतृत्व में, समूह ने भारतीय सीमाओं को पार करते हुए अपनी पहुँच बढ़ाई। 2000 में ब्रिटिश चाय फर्म टेटली का 432 मिलियन डॉलर में और 2007 में एंग्लो-डच स्टीलमेकर कोरस का 13 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया, जो उस समय किसी भारतीय कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा विदेशी अधिग्रहण था। टाटा मोटर्स ने 2008 में फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटिश लक्ज़री ऑटो ब्रांड्स जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदा।
रतन टाटा के शब्द
“मुझे याद है कि मुंबई की भारी बारिश में एक चार लोगों का परिवार मोटरसाइकिल पर था – मुझे पता था कि मुझे इन परिवारों के लिए और अधिक करना होगा जो एक विकल्प की कमी के कारण अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे।”
— रतन टाटा
नैनो और इंडिका कार का योगदान
टाटा मोटर्स में रतन टाटा के प्रिय प्रोजेक्ट्स में इंडिका, “भारत में डिजाइन और निर्मित पहला कार मॉडल” और नैनो, “दुनिया की सबसे सस्ती कार” शामिल थे। उन्होंने दोनों मॉडलों के लिए प्रारंभिक रेखाचित्र तैयार किए। जहाँ इंडिका ने व्यावसायिक सफलता प्राप्त की, वहीं नैनो को प्रारंभिक सुरक्षा मुद्दों और मार्केटिंग की गलतियों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। रतन टाटा ने भारत में वाणिज्यिक विमानन की दिशा में भी कदम बढ़ाया, जब उन्होंने 1932 में एक एयरलाइन की स्थापना की, जिसे बाद में एयर इंडिया नाम दिया गया। बाद में सरकार ने इसे अपने अधीन कर लिया।
भारतीय बाजार की समझ
भारत में सड़क पार करते समय शायद ही कोई ऐसा टाटा ट्रक, बस या एसयूवी न दिखाई दे। रतन टाटा ने भारतीय बाजार की नब्ज़ को समझने के लिए लोगों की जरूरतों और दैनिक जीवन का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने टाटा नैनो जैसी पहल का नेतृत्व किया, जो कि किफ़ायत और सामूहिक गतिशीलता के लिए डिजाइन की गई दुनिया की सबसे सस्ती कार साबित हुई। इसके साथ ही, टाटा इंडिका ने वास्तविक भारतीय कार बनाने का एक अग्रणी प्रयास किया।
रतन टाटा के निधन पर अमेरिका में भी शोक की लहर
टाटा के निधन पर अमेरिका में रहने वाले प्रमुख व्यक्तियों ने उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में याद किया, जिन्होंने भारत को अधिक समृद्धि और विकास की दिशा में अग्रसर किया। अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा कि कुछ लोग व्यापार को कमतर समझते हैं, लेकिन रतन टाटा ने अपनी कंपनियों और भारत को वैश्विक स्तर पर समृद्धि और विकास की ओर बढ़ाया। उन्होंने न केवल अपने सहयोगियों और व्यापारिक साझेदारों के लिए, बल्कि समाज के व्यापक कल्याण के लिए भी मानवता और करुणा के मूल्यों का समर्थन किया।
“सुंदर पिचाई ने रतन टाटा के निधन पर संवेदना व्यक्त की, उनकी विरासत को किया याद”
भारतवंशी सुंदर पिचाई ने रतन टाटा के निधन पर संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, “रतन टाटा के साथ गूगल में मेरी अंतिम मुलाकात में हमने वेमो की प्रगति के बारे में चर्चा की, और उनका विजन सुनना वास्तव में प्रेरणादायक था। उन्होंने एक असाधारण व्यावसायिक और परोपकारी विरासत छोड़ी है, और आधुनिक भारतीय व्यावसायिक नेतृत्व को मार्गदर्शन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें भारत को बेहतर बनाने की गहरी चिंता थी। उनके प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है, और रतन टाटा को शांति मिले।”