म्यांमार भूकंप: मलबे से 5 दिन बाद ज़िंदा निकला शिक्षक
म्यांमार-थाईलैंड में भयंकर भूकंप से तबाही
म्यांमार और थाईलैंड में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने चारों तरफ तबाही मचा दी है। इस विनाशकारी आपदा में अब तक 2800 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि लगभग 4,639 लोग घायल हुए हैं। इसके साथ ही करीब 373 लोग अभी भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन हर बीतते दिन के साथ मलबे में ज़िंदा लोगों के मिलने की उम्मीद कम होती जा रही है।
ढही हुई इमारत के नीचे 5 दिन तक ज़िंदा रहा शिक्षक
ऐसे माहौल में बुधवार को एक चमत्कार हुआ, जब म्यांमार के सागाइंग इलाके में एक गिरी हुई होटल की इमारत के मलबे से एक शिक्षक को ज़िंदा बाहर निकाला गया। इस शिक्षक का नाम टिन माउंग ह्तवे है, जो उस समय सागाइंग में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। भूकंप के समय वह होटल में मौजूद थे, और इमारत गिरते ही वे बिस्तर के नीचे छिप गए।
बचपन की सीख और आत्मसंकल्प ने बचाई जान
47 वर्षीय शिक्षक ने बताया कि उन्हें स्कूल में दी गई एक पुरानी सीख याद आई – अगर धरती हिलने लगे, तो किसी मजबूत चीज़ के नीचे छिप जाओ। यही सोचकर वे अपने बिस्तर के नीचे चले गए। उसी दौरान पूरी होटल की इमारत ढह गई और वे मलबे में फंस गए। उन्होंने पांच दिन तक बिना भोजन के गुज़ारा, और प्यास बुझाने के लिए अपने मूत्र का सहारा लिया। उन्होंने बताया कि वे लगातार चिल्ला रहे थे – “मुझे बचाओ”, लेकिन कोई आवाज़ नहीं आ रही थी।
सागाइंग में तबाही का भयावह मंजर
सागाइंग, जो कि भूकंप के केंद्र के सबसे नजदीक था, वहाँ पर विनाश की तीव्रता अन्य इलाकों की तुलना में कहीं अधिक थी। अधिकतर इमारतें पूरी तरह से गिर चुकी हैं। सड़कें टूट गई हैं और कई जगहों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे राहत दलों को पहुंचने में भारी मुश्किलें आ रही हैं। इरावदी नदी पर बना अवा पुल भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिससे दो प्रमुख शहरों के बीच संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
मलबे में कितने दिन तक जीवित रह सकते हैं लोग?
विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी आपदा के बाद पहले 72 घंटे (तीन दिन) सबसे अहम माने जाते हैं। इसी अवधि में ज़्यादा लोग ज़िंदा बाहर निकाले जा सकते हैं। इसके बाद हर गुज़रते घंटे के साथ जीवित बचने की संभावना घटती जाती है। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति किसी सुरक्षित स्थान जैसे मजबूत मेज़ या बिस्तर के नीचे फंसा हो, और गंभीर रूप से घायल न हो, तो वह अधिक दिनों तक ज़िंदा रह सकता है।
बचाव अभियान जारी, लेकिन चुनौतियां भारी
राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है, लेकिन टूटी सड़कों और खराब मौसम के कारण काफी दिक्कतें आ रही हैं। फिर भी हर एक ज़िंदगी को बचाने की कोशिश जारी है। टिन माउंग ह्तवे की यह कहानी आशा की एक किरण बन गई है, जो बताती है कि कठिन समय में सीख, समझदारी और आत्मबल मिलकर चमत्कार कर सकते हैं।