अंतरिक्ष में डॉकिंग का प्रदर्शन: ISRO ने लॉन्च किए दो उपग्रह
ISRO का नया मिशन शुरू
भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को दो उपग्रह ‘चेसर’ और ‘टारगेट’ लॉन्च किए। इनका उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है, जो भविष्य के मिशनों, जैसे पृथ्वी की कक्षा में स्पेस स्टेशन बनाने और चंद्रमा पर मानव मिशन में अहम भूमिका निभाएगा।
PSLV से सफल लॉन्च
पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) ने इन उपग्रहों को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 475 किमी ऊपर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। इस लॉन्च के 15 मिनट बाद PSLV के चौथे चरण ने उपग्रहों को सही कक्षा में छोड़ा। ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा, “यह मिशन का पहला चरण है, और उपग्रह सही कक्षा में हैं।”
डॉकिंग के लिए तैयारी शुरू
लॉन्च के बाद, दोनों उपग्रह एक दिन में 20 किमी की दूरी तक अलग हो जाएंगे। इस दूरी पर पहुंचने के बाद डॉकिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ISRO के मुताबिक, “हमें उम्मीद है कि डॉकिंग 7 जनवरी तक पूरी हो जाएगी।” मंगलवार रात तक उपग्रह 20 किमी की दूरी बना लेंगे। इसके बाद, एक उपग्रह का प्रोपल्शन थ्रस्टर सक्रिय किया जाएगा, जो दोनों को इस दूरी पर स्थिर रखेगा।
डॉकिंग प्रक्रिया का विवरण
चार दिनों तक अनुकूल सूर्य स्थिति का इंतजार करने के बाद, उपग्रहों के बीच की दूरी 20 किमी से धीरे-धीरे 10 किमी, फिर 5 किमी और अंत में 3 मीटर तक कम की जाएगी। इस दौरान, दोनों उपग्रह एक-दूसरे से “संवाद” करेंगे और अपनी स्थिति व दिशा का डेटा साझा करेंगे। डॉकिंग के समय उनकी आपसी गति मात्र 10 मिमी प्रति सेकेंड होगी।
चुनौतियां और नवाचार
डॉकिंग प्रक्रिया में छोटे और हल्के उपग्रहों के कारण उच्च सटीकता की आवश्यकता होगी। बड़े अंतरिक्ष यानों की तुलना में यह चुनौतीपूर्ण है। PSLV के चौथे चरण को 350 किमी की कक्षा में लाकर एक मिनी-लैब में बदल दिया जाएगा, जिसमें तीन महीने तक 24 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे।
प्रमुख प्रयोग
इन प्रयोगों में एक वॉकिंग रोबोटिक आर्म शामिल है, जिसका उपयोग स्पेस स्टेशन निर्माण में होगा। इसके अलावा, अंतरिक्ष में तैरते मलबे को पकड़ने, स्पेसक्राफ्ट को रीफ्यूल करने और बीज अंकुरण पर माइक्रोग्रैविटी में अध्ययन करने के प्रयोग भी होंगे। आठ काऊपी बीज को उगाने का प्रयास इस मिशन का हिस्सा है।
ISRO का नया अध्याय
यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय खोल रहा है। अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक के सफल परीक्षण से भारत को भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई मिलेगी।