रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत-इजरायल की नज़दीकी बढ़ी
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान कई यूरोपीय देशों ने इजरायल के साथ अपने रक्षा समझौते रद्द कर दिए हैं। इसके बावजूद भारत ने इजरायल के साथ चुपचाप रक्षा साझेदारी को मज़बूत किया है। दोनों देश ऐसे हथियार सिस्टम विकसित कर रहे हैं जो चीन और पाकिस्तान के लिए चुनौती बन गए हैं।
हथियार निर्यात में इजरायल का दबदबा
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक 2020-2024 के बीच इजरायल दुनिया का आठवां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक रहा, जिसकी हिस्सेदारी 3.1% थी। 2024 में इजरायल का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि गाज़ा युद्ध के चलते यूरोपीय देशों ने इजरायल के हथियारों पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं।
यूरोप में घटता बाजार, भारत बना बड़ा खरीदार
स्पेन, स्लोवेनिया और जर्मनी जैसे देशों ने इजरायल के साथ रक्षा सौदों पर रोक लगाई। इसके बीच भारत इजरायली हथियारों का सबसे बड़ा गंतव्य बन गया। SIPRI के अनुसार 2020-2024 के बीच इजरायली हथियार निर्यात का 34% भारत को गया।
ऑपरेशन सिंदूर से और मजबूत हुए संबंध
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में इजरायली हथियारों की सफलता के बाद हेरॉन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदने का फैसला किया। भारतीय सेना पहले से हेरॉन ड्रोन का बड़ा बेड़ा संचालित कर रही है।
तेजस में इजरायली तकनीक की अहम भूमिका
इजरायल तेजस LCA के कई महत्वपूर्ण पुर्जे सप्लाई कर रहा है। तेजस MK-1A में EL/M-2052 AESA रडार, लाइटनिंग टार्गेटिंग पॉड, डर्बी व पाइथन मिसाइलें और एडवांस HMDS शामिल होंगे। भारत का स्वदेशी उत्तम AESA रडार तैयार होने तक यह सिस्टम अस्थायी समाधान रहेगा।
सुदर्शन चक्र में भी इजरायली सिस्टम
भारत की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली ‘सुदर्शन चक्र’ में बराक-8 MR-SAM/LR-SAM शामिल होगा। यह DRDO, BEL और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के सहयोग से विकसित हो रहा है। बराक-8 की मारक क्षमता 100 किमी और बराक-ईआर की 150 किमी है।
बहुस्तरीय वायु रक्षा में बराक-8 की अहमियत
S-400, आकाश और VSHORADS जैसी भारतीय प्रणालियों के साथ बराक-8 SAM भारत की वायु रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। फरवरी 2025 में राफेल (इजरायल) और L&T (भारत) ने ट्रॉफी APS के लिए समझौता किया, जो टैंकों को RPG और ATGM से बचाने में सक्षम है।
हर्मीस 900 UAV बना भारत-इजरायल साझेदारी का प्रतीक
हैदराबाद में अडानी डिफेंस और इजरायल की एल्बिट सिस्टम्स मिलकर हर्मीस 900 UAV बना रही हैं। यह ड्रोन 36 घंटे उड़ान और 1,000 किमी की क्षमता के साथ निगरानी, टोही और सटीक हमलों के लिए सक्षम है।
स्काईस्ट्राइकर ड्रोन से बढ़ी मारक क्षमता
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में इजरायली स्काईस्ट्राइकर कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया। अडानी समूह इसे भारत में स्थानीय स्तर पर बना रहा है। ये हथियार भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक निवारक शक्ति को और मज़बूत करेंगे।