कूनो नेशनल पार्क में बढ़ेगा चीतों का कुनबा, सफारी का रोमांच भी होगा दोगुना
गामिनी अपने शावकों संग खुले जंगल में दौड़ेगी
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों के संरक्षण को लेकर एक और अहम कदम उठाया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका से आई मादा चीता गामिनी को सोमवार को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। खास बात यह है कि वह अकेली नहीं, बल्कि अपने चार शावकों—दो नर और दो मादा—के साथ जंगल में रफ्तार भरेगी। इससे चीतों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण बनेगा कूनो नेशनल पार्क
गामिनी और उसके शावकों को कूनो के खजूरी पर्यटन जोन में छोड़ा जाएगा। यह जोन पहले से ही पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है और अब यहां चीता परिवार के जुड़ने से रोमांच और भी बढ़ जाएगा।
अब सफारी पर जाने वाले सैलानियों को चीतों को उनके प्राकृतिक आवास में विचरण करते हुए देखने का मौका मिलेगा। इससे कूनो में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा होने की संभावना है।
वन्यजीव संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
मध्य प्रदेश सरकार वन्यजीव संरक्षण को लेकर लगातार प्रयास कर रही है। सरकार ने कूनो नेशनल पार्क को चीतों के संरक्षण और पुनर्स्थापना का केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है। अफ्रीका से चीतों को भारत लाने की इस परियोजना के तहत कूनो को विशेष रूप से विकसित किया गया है, ताकि ये शिकार कर सकें और खुद को यहां के वातावरण में ढाल सकें।
परियोजना से बढ़ेगा पर्यटन और रोजगार
इस पहल से कूनो नेशनल पार्क न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण का प्रमुख केंद्र बनेगा, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। होटल, गाइड, सफारी संचालकों समेत कई सेक्टरों में काम करने वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
सरकार की योजना और भविष्य की तैयारी
मध्य प्रदेश सरकार इस पार्क को और अधिक विकसित करने की योजना बना रही है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए बेहतर सुविधाएं, गाइडेड सफारी और रिसर्च सेंटर बनाए जाने पर भी विचार हो रहा है।
इसके अलावा, आने वाले समय में और भी चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा ताकि भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की आबादी को फिर से बढ़ाया जा सके।
चीतों की वापसी भारत के लिए बड़ी उपलब्धि
भारत में चीतों को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन अब ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत इन्हें फिर से बसाने की कोशिशें की जा रही हैं। कूनो नेशनल पार्क इस ऐतिहासिक प्रयास का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
गामिनी और उसके शावकों की जंगल में रिहाई इस दिशा में एक नई उपलब्धि साबित होगी और भारत में चीतों के पुनर्वास के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाएगी।