‘अधजले कांड’ पर बवाल: जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई शुक्रवार को
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से अधजली नकदी बरामद होने के बाद मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मांग की गई थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। अब शुक्रवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, जहां जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ इस याचिका पर विचार करेगी।
सुप्रीम कोर्ट का रुख: तत्काल सुनवाई से इनकार
बुधवार को वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस को इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश देने की अपील की थी। हालांकि, सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। इसके साथ ही, इस याचिका में 1991 के के. वीरास्वामी मामले के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया था कि किसी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी।
कैसे हुआ अधजले नोटों का खुलासा?
14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे लुटियंस दिल्ली में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई थी। इस आग के बाद जब जांच-पड़ताल की गई, तो वहां से कथित रूप से अधजली नकदी बरामद हुई। इस खुलासे के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया, और इस मामले की गहराई से जांच की मांग उठने लगी।
प्रयागराज में भी गरमाया मुद्दा
इस विवाद के बीच जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण किए जाने के विरोध में प्रयागराज में वकीलों का आक्रोश देखने को मिला। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने गुरुवार को हड़ताल जारी रखी, जिससे न्यायिक कार्य ठप हो गया। एसोसिएशन ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 28 मार्च को भी सभी वकील हड़ताल पर रहेंगे।
क्या होगा आगे?
अब सबकी नजरें शुक्रवार को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। क्या इस मामले में FIR दर्ज होगी? क्या किसी जज के खिलाफ जांच के नियमों में बदलाव की जरूरत पड़ेगी? इन सवालों के जवाब सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में मिल सकते हैं। फिलहाल, यह मामला दिल्ली से प्रयागराज तक सुर्खियों में बना हुआ है।