जमींन के नीचे एक छोटी मिट्टी की मटकी में मिले सोने व चांदी के सिक्के अब पुलिस तक पहुँच गये है । लेकिन अब इन कीमती सिक्कों की संख्या को लेकर भी एक नया विवाद छिड़ गया है । इसकी शिकायत भी मकान मालिक के पुत्र द्वारा सीएम हेल्प लाइन में कर दी गयी है ।
क्योंकी पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट एवं मकान मालिक तथा मजदूरों द्वारा सिक्कों की बताई जा रही संख्यां में फर्क नजर आ रहा है । पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार मजदूरों से 51 नग चांदी एवं दो नग सोने के सिक्के बरामद किए जाने की बात बताई गयी है ,जबकि मकान मालिक के पुत्र एवं मजदूरों के अनुसार सोने के सिक्कों की संख्या दो नहीं बल्कि 9 नग थी । पुलिस कार्यवाही से पहले जो फोटो मकान मालिक के पुत्र को किसी माध्यम से मिली थी ,उसमे सिक्कों के दो ढेर नजर आ रहे हैं । जिसमे पीले रंग के सोने के सिक्कों के साथ एक चौकोर मुहर समेत कुल संख्या 7 नग दिखाई दे रही है । लेकिन पुलिस द्वारा केवल दो नग सोने के सिक्के बरामद किए जाने की बात बताई गयी है ।
अब सवाल यह उठ रहा है कि शेष सोने के सिक्के अब भी मजदूरों के पास है और उन्होंने पुलिस से जानकारी छुपाई हुई है या फिर पुलिस की जप्ती के बाद अचानक सोने के सिक्के कम हो गये ? यह जांच का विषय है । क्योंकी घटना दिनांक को ली गयी फोटो जब वायरल हुई तो उसमे सोने के 7 नग सिक्के दिखाई दे रहें हैं । इसलिए इसे लेकर शिकायत भी की गयी है ।
क्या था पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक़ गोह्पारु थाना क्षेत्र के ग्राम खाम्हा निवासी पूरन सिंह पिता गंधू सिंह, उम्र 59 वर्ष के द्वारा अपने पुश्तैनी कच्चे मकान के पास नव निर्माण हेतु नींव खुदाई का कार्य गाँव के ही रहने वाले तीन मजदूरों बुद्धसेन सिंह, रामनाथ अगरिया एवं रवि सिंह को ठेके पर दिया गया था। जिसमें दिनांक 6 मई से कार्य प्रारंभ हुआ तथा 8 मै को कार्य बंद कर दिया गया। बाद में गांव के लोगों के बीच यह चर्चा हुई और मकान मालिक को जानकारी मिली कि खुदाई के दौरान उपरोक्त तीनों व्यक्तियों को पुराने समय की मोहरें व सिक्के प्राप्त हुए थे, जो कि सोने एवं चांदी के थे और मजदूरो ने उन्हे बिना जानकारी दिए चोरी छिपे उसे आपस में बांट लिया है ।
घटना की सूचना फरियादी को गांव के व्यक्तियों से मिली, जिनमें से एक ने कथित रूप से पुराने सिक्कों की फोटो उसी दिन ले ली थी । फरियादी द्वारा यह भी बताया गया कि इनकी कोई जानकारी पुलिस या गांव के अन्य व्यक्तियों को नहीं दी गई, बल्कि तीनों आरोपियों ने मिली सामग्री को छिपा लिया। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना गोहपारू में अपराध पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया है। जिसमें गोहपारू पुलिस द्वारा आरोपी बुद्धसेन सिंह पिता मटकू सिंह, रामनाथ अगरिया पिता रंगेलाल अगरिया, रवि सिंह पिता जागेश्वर सिंह सभी निवासी ग्राम खाम्हा, थाना गोहपारू, को गिरफ्तार कर आरोपियों के कब्जे से गोहपारू पुलिस द्वारा 51 चांदी के एवं 2 सोने के सिक्के बरामद किये जाने की जानकारी प्रेस नोट के जरिये मीडिया में दी गयी ।
90 हजार में किया बिक्री
पता चला है कि तीन मजदूरों में से एक रामनाथ अगरिया पिता रंगेलाल अगरिया द्वारा एक नाग सोने व एक नग चांदी का सिक्का किसी सराफा व्यवसायी के यहाँ 90 हजार रुपए में बेचा गया है । अचानक इतने पैसे मिलने के बाद रामनाथ मानो पागल सा हो गया ,वह सिक्के बेचने के बाद गाँव आया और फिर जमकर शराब पी । नशे में वह गाँव में यह कहने लगा कि उसके पास बहुत पैसा आ गया है ,अब वह मोटर सायकिल और कार लेगा । शराब के नशे में उसने सोने चांदी के सिक्के मिलने की बात भी कह डाली । जिससे यह बात गाँव के दूसरे लोगों तक पहुच गयी और राज खुल गया ।
मुग़ल शासन 1526 से 1857 तक
इतिहासकारों के अनुसार भारत में मुगलों का शासन सन 1526 से 1857 तक रहा । मुग़ल साम्राज्य की स्थापना 1526 में बाबर बादशाह ने की थी । और 1857 में अंतिम मुग़ल शासक बहादुर शाह ज़फर द्वितीय को अंग्रेजों ने पदच्युत कर मुग़ल शासन का अंत कर दिया । इसके साथ ही मुग़ल शासन का भारत में अंत हो गया । मुग़ल कॉल के उस दौर में ऐसे सोने एवं चांदी के अलग अलग सिक्कें एवं मोहर का प्रचलन था । लेकिन 15 वीं शताब्दी के करींब पांच सौ बरस बाद आखिर यह सिक्के शहडोल जिले के एक गाँव में कैसे आए यह भी बड़ा सवाल है ।
किसी में कलमा तो किसी सिक्के में शासक का नाम
जो सोने एवं चांदी के सिक्के पुलिस ने जप्त किए हैं ,उसमे किसी में इस्लाम मजहब का कलमा एवं किसी में शासक का नाम लिखा हुआ है । चांदी के कई सिक्कों में एक तरफ ला इला ह ,इल्लल्लाह लिखा हुआ है ,तो किसी चांदी के सिक्के में मुगलकालीन मोहर उकरी हुई दिखाई दे रही है । वहीँ सोने के सिक्के में अलाउद्दीन जफर मोहम्मद लिखा हुआ है ।
राजशाही कॉल में थे मुन्सी
मकान मालिक पूरन सिंह के अनुसार उनके पिता गाँव के इलाकेदार कहलाते थे तथा दादा मिट्ठू सिंह राजशाही कॉल में राजा के दरबार में मुन्सी थे । इससे ऐसा लग रहा है कि उक्त मुग़ल कालीन सिक्के पूरन सिंह के दादा को राजा महाराजाओं द्वारा कभी उपहार में दिया गया होगा ,क्योंकी पुराने समय में लाकर व तिजोरियां नहीं होती थी ,उस समय के लोग मिट्टी अथवा किसी अन्य धातु के बर्तनों में ऐसी मुद्रा व जेवरात रखकर उसे जमीं में छुपा दिया करतें थे ।