Belgium to India: अपनी जिज्ञासा को शांत करने वह सात समंदर पार कर धनपुरी चली आईं । अब वह यहाँ शिक्षक तथा बच्चों को स्पेनिश व फ्रेंच भांषा सिखा रहीं हैं । बेल्जियम से करीब 7 हजार किलोमीटर का सफ़र तय कर मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के धनपुरी आने वाली 59 वर्षीय ईजाबेल रबादान के इस यात्रा का उद्देश्य भी बड़ा रोचक है । लगभग पन्द्रह दिनों तक यहाँ ट्रेनिंग देने केंबाद वह अपने देश बेल्जियम लौट जाएंगी । इसके बाद फिर वह आनलाइन ट्रेनिंग देंगी ।
इस बारे में यूरोपीय देश लक्जमबर्ग में रहने वाले धनपुरी निवासी मोहम्मद आरिफ ने विस्तृत रूप में बताया कि मै पिछले 18 वर्षो से भारत से बाहर रहकर फायनेंस सेक्टर में काम कर रहा हूँ । उन्होंने बताया कि हमारे वजीर एजुकेशन फाउन्डेशन द्वारा इस वर्ष से धनपुरी नगर के वार्ड नम्बर 17 माईकल चौक में एक विद्द्यालय की शुरुआत की है । जिसका नाम भी हम लोगों ने नगर के नाम यानी धनपुरी पब्लिक स्कूल (डीपीएस ) रखा है ।जहां शिक्षा से लेकर ड्रेस ,किताब सब कुछ निः शुल्क प्रदान किया जा रहा है । साथ ही अगले माह 2 दिसंबर से बच्चों को निःशुल्क भोजन व नाश्ता भी उपलब्ध कराया जाने लगेगा ।
उन्होंने बताया कि विद्द्यालय की प्रधानाध्यापक रीना चक्रवर्ती एवं मैनेजमेंट हेड अनीक आहमद अपने सहयोगी शिक्षकों के साथ इस विद्द्यालय का बखूबी संचालन कर रहें हैं ।धनपुरी में स्कूल आगमन पर इजाबेल का भारतीय परम्परा अनुसार प्रधानाध्यापक श्रीमती चक्रवर्ती द्वारा आरती उतारकर स्वागत किया गया । जिसे देख इजावेल भी भारतीय परम्परा की कायल हो गयी और स्कूल स्टाफ को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
हमारी इन गतिविधियों पर मेरी कंपनी की सहकर्मी ईजाबेल काफी समय से नजर रख रहीं थी ,आखिरकार एक दिन जब उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने पूछा आप इतने वर्ष से यहाँ रह रहे हो फिर भी आप अपने शहर के बच्चों की शिक्षा के बारे में इतना गंभीर हो ।
आप की अपने स्कूल के प्रति इतनी रूचि को देखने के बाद मेरे अंदर भी आपके स्कूल को देखने और वहाँ के बच्चों से मिलने की इच्छा जागृत हो गयी है । ईजाबेल ने कहा कि वह धनपुरी में मौजूद आपकी स्कूल के बच्चों को फ्रेंच व स्पेनिश भांषा सिखाना चाहती है । इसके लिए वह भारत आकर आपकी स्कूल के टीचर को ट्रेनिंग देने के लिए भी तैयार है ।
सहमति मिलने के बाद बीते 15 नवम्बर को ईजाबेल बेल्जियम के ब्रसेल्स शहर से भारत पहुंची । दिल्ली आने के बाद फिर वह वहाँ से धनपुरी तक पहुँची । यहाँ आने के बाद वह प्रतिदिन स्कूल टाइम में अपने तय शेड्यूल के मुताबिक़ फ्रेंच व स्पेनिश भांषा की ट्रेनिंग दे रही हैं ।
भारत आईं इजाबेल ने बताया कि वह 15 दिनों के भ्रमण के बाद वापस अपने देश जरूर लौट जाएंगी लेकिन अब यह धनपुरी शहर और यह धनपुरी पब्लिक स्कूल उनके दिल में बस चुका है ,वह यहाँ से जाने के बाद भी टीचर व बच्चों को आनलाइन ट्रेनिंग देते रहेंगी । यह ट्रेनिंग तब तक जारी रहेगी जब तक टीचर पूरी तरह ये दोनों भाषाएँ सीख न जाए । ताकि फिर वह बच्चों को आगे यह दोनों भाषाएँ अच्छी तरह सिखा सकें ।
निश्चित ही शहडोल जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले के छोटे से कसबे में निः शुल्क शिक्षा उपब्ध कराने वाले संस्थान धनपुरी पब्लिक स्कूल का प्रबंधन व इसके फाउन्डर बधाई के पात्र है । साथ ही कार्य में सहभागिता निभाने वाले वहाँ के स्टाफ भी काबिल के तारीफ़ हैं ।
स्कूल पुर्णतः निःशुल्क
विदित हो किध जिले के धनपुरी स्थित इस धनपुरी पब्लिक स्कूल में सुचारू रूप से पढ़ाई चल रही है । जहां शिक्षा से लेकर ड्रेस ,किताब सब कुछ निः शुल्क प्रदान किया जा रहा है । साथ ही अगले माह 2 दिसंबर से बच्चों को निःशुल्क भोजन व नाश्ता भी उपलब्ध कराया जाने लगेगा । जिसके पीछे विद्यालय प्रबंधन का उद्देश्य बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य का होना है ,जो कि एक अच्छी शिक्षा के लिए होना बेहद जरुरी है ।