वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि एक्सईसी वेरिएंट के कारण संक्रमण के मामले अन्य महाद्वीपों में भी बढ़ सकते हैं, इसलिए सभी देशों को सतर्क रहना चाहिए। हाल ही में, यह नया वेरिएंट 27 से अधिक देशों में रिपोर्ट किया गया है। प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि एक्सईसी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देकर आसानी से संक्रमण फैला सकता है, खासकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिए। इस स्थिति में, बूस्टर डोज लगवाने की आवश्यकता पर विचार किया जा रहा है।
एक रिपोर्ट में कोविड डेटा विश्लेषक माइक हनी ने बताया कि नए एक्सईसी वेरिएंट के कारण डेनमार्क और जर्मनी में संक्रमण के मामलों में तेज वृद्धि हुई है। नियमित परीक्षण में कमी के कारण कोविड का वास्तविक डेटा स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन संभावना है कि यह आंकड़ा कहीं अधिक हो सकता है। हालांकि दुनिया की बड़ी आबादी ने कोविड वैक्सीन लगवाकर प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है, तेजी से बढ़ते मामलों से यह स्पष्ट है कि नया वेरिएंट आसानी से इस प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देकर लोगों को संक्रमित कर रहा है।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, एक्सईसी ओमिक्रॉन वेरिएंट फैमिली का एक सदस्य है। यह संक्रामक तो है, लेकिन वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में गंभीर रोगों का कारण नहीं बन रहा है। टीके अभी भी गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से बचाने में प्रभावी हैं। हालांकि, बुजुर्गों और कोमोरबिडिटी वाले व्यक्तियों को, जिन्हें संक्रमण का अधिक जोखिम होता है, अपडेटेड वैक्सीन शॉट देकर अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है। कई देशों ने ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट्स और उनके जोखिमों के कारण 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अपडेटेड वैक्सीन की बूस्टर डोज दी है।
सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, टेक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने SC27 नामक एक एंटीबॉडी की पहचान की है, जो कोरोनावायरस के सभी ज्ञात प्रकारों से मुकाबला करने की क्षमता रखती है। वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों के प्लाजमा की जांच में इस एंटीबॉडी की उपस्थिति देखी गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि टीकाकरण से शरीर में ऐसी एंटीबॉडी विकसित होती हैं, जो गंभीर रोगों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। अगर कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को अपडेटेड बूस्टर शॉट दिया जाए, तो उन्हें संक्रमण से और अधिक सुरक्षित किया जा सकता है।