Green Chilli Benefits:
Green Chilli Benefits: हरी मिर्च में कई स्वास्थ्य लाभ छिपे हुए हैं, जैसे कि यह सूजनरोधी होती है और पेट और पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करती है। हाल ही में एक शेफ ने अपने पोस्ट के जरिए लोगों को सलाह दी है कि पेट के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हरी मिर्च को डंठल के साथ खाना चाहिए। चलिए एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि क्या इस तरीके से सच में फायदा होता है या नहीं।
हरी मिर्च न केवल खाने को तीखा और जायकेदार बनाती है, बल्कि रोजाना इसके सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। हरी मिर्च (Green Chilli) में विटामिन-सी, ए और आयरन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा, इसमें फास्फोरस और कॉपर जैसे तत्व भी होते हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक हैं। हरी मिर्च में कैप्साइसिन नाम का एक कंपाउंड पाया जाता है, जो हृदय रोगों से बचाने में मदद करता है। कैप्साइसिन की वजह से ही मिर्च में तीखापन आता है। इसके अलावा, पाचन, आंखों की रोशनी और इम्यूनिटी के लिए भी हरी मिर्च का सेवन फायदेमंद होता है।
सोशल मीडिया पर खाने से जुड़े कई हैक्स ट्रेंड कर रहे हैं, जिनमें से एक है हरी मिर्च को डंठल के साथ खाने की टिप। चलिए, इस पर और चर्चा करते हैं।
डंठल के साथ मिर्च खाने के फायदे
पेट के स्वास्थ्य के लिए हमें डंठल के साथ मिर्च खानी चाहिए, जिससे गट हेल्थ में सुधार होता है।
एक्सपर्ट की राय
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस हैक पर अलग-अलग एक्सपर्ट्स की राय है। एक एक्सपर्ट का मानना है कि मिर्च की तीखापन या पेट के लिए डंठल का होना या न होना कोई मायने नहीं रखता। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि मिर्च को कैसे उगाया गया है। एक अन्य एक्सपर्ट ने कहा कि हरी मिर्च पेट और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) में फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, गर्मियों में इनका अधिक सेवन गैस की समस्या पैदा कर सकता है और डिहाइड्रेशन का खतरा भी बढ़ा सकता है।
एक अन्य डाइटिशियन ने बताया कि जिन लोगों को तीखा खाना कम पसंद है, उन्हें डंठल नहीं खाना चाहिए क्योंकि कुछ मिर्चों का डंठल अधिक तीखा होता है। इस तरह, शेफ अजय के इस हैक पर हर डॉक्टर की अपनी अलग राय है। कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि मिर्च का डंठल कड़वा होता है, जो खाने का स्वाद बिगाड़ सकता है।
बेंगलुरु की डाइटिशियन वीना ने कहा कि मिर्च की तैयारी का तरीका और मिर्च का प्रकार भी तीखेपन और पाचन प्रभाव को निर्धारित करता है। उन्होंने बताया कि मिर्च पकाने से उसमें कैप्साइसिन की मात्रा कम हो सकती है, जबकि कुछ किस्मों में स्वाभाविक रूप से कम कैप्साइसिन होता है, जिससे इसका पाचन तंत्र पर असर कम होता है।