ईरान द्वारा हाल ही में किए गए मिसाइल हमले के जवाब में इज़राइल एक मजबूत प्रतिशोध की योजना बना रहा है। इज़राइली अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस बार ईरान को पुनर्गठन का मौका नहीं दिया जाएगा। ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाते हुए प्रतिशोधात्मक हमले की योजना बनाई जा रही है, और उच्च स्तर के ईरानी नेतृत्व के खिलाफ लक्षित ऑपरेशन करने की संभावना भी विचाराधीन है।
जी-7 देशों की आपात बैठक
यह तनाव उस समय बढ़ा जब ईरान ने इज़राइल पर 181 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ को इज़राइली और अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम ने रोक दिया, जबकि कुछ मिसाइलें इज़राइली सैन्य ठिकानों और खुले स्थानों पर गिरीं। रिपोर्टों के अनुसार, मोसाद मुख्यालय को निशाना बनाते हुए कई मिसाइलें दागी गईं, हालाँकि कोई भी मिसाइल परिसर में नहीं गिरी।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक बुलाई, जिसमें संभावित प्रतिक्रियाओं पर चर्चा हुई। यरूशलेम में सुरक्षा कैबिनेट की एक बैठक में इज़राइल द्वारा ईरान पर सैन्य कार्रवाई की पुष्टि की गई। नेतन्याहू ने कहा, “ईरान ने एक गंभीर गलती की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। जो कोई भी हम पर हमला करेगा, हम उस पर पलटवार करेंगे।”
संभावित सैन्य लक्ष्य
सूत्रों के अनुसार, इज़राइल ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए उसके तेल उत्पादन सुविधाओं और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लक्षित कर सकता है। इज़राइली अधिकारियों ने ईरान के परमाणु सुविधाओं सहित प्रमुख सामरिक स्थलों को निशाना बनाने का संकल्प व्यक्त किया है।
जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, इज़राइल अपनी सैन्य प्रतिक्रिया की विभिन्न रणनीतियों पर विचार कर रहा है, यह सुनिश्चित करते हुए कि ऐसा कदम उठाया जाए जिससे ईरान को अपने आक्रामकता पर पछताना पड़े।
तनाव बढ़ता जा रहा है
वैश्विक स्तर पर चिंताएँ बढ़ रही हैं, क्योंकि विश्लेषक भविष्यवाणी कर रहे हैं कि इज़राइल से ईरान के खिलाफ बड़ा प्रतिशोध हो सकता है। यदि यह संघर्ष और बढ़ता है, तो इससे युद्ध के बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना है, खासकर ईरान द्वारा पलटवार करने की चेतावनी के मद्देनज़र।
इज़राइल का विपक्ष भी ईरान को जवाब देने के मुद्दे पर एकजुट है, और नेताओं ने ईरान को सख्त सबक सिखाने की बात की है। विदेश मंत्री इजराइल कैट्ज ने कहा, “अयातुल्ला शासन ने लाल लकीर पार कर दी है, और इज़राइल इस हमले पर चुप नहीं रहेगा।” रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा, “ईरान ने यह सबक नहीं सीखा है कि जो लोग इज़राइल पर हमला करते हैं, उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती है।”
पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है, और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करना आवश्यक है। हमें ईरान की ऊर्जा सुविधाओं पर हमला करने की जरूरत है।
अमेरिका की भूमिका
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने स्पष्ट किया है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमले के समर्थन में नहीं हैं, लेकिन वह इज़राइल की योजनाओं से अवगत रहना चाहते हैं। ईरान पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की संभावनाएं भी चर्चा में हैं।
इज़राइल को यह भी पता है कि किसी भी सैन्य कार्रवाई से ईरान पलटवार कर सकता है, और इसलिए वह अमेरिकी सेंट्रल कमांड से रक्षात्मक सहयोग चाहता है, साथ ही अपनी वायुसेना के लिए अधिक गोला-बारूद और सैन्य सामग्री भी मांगता है। अमेरिका मध्य पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने पर विचार कर रहा है और अपने वायु और नौसेना बलों को सतर्क रखा है।
ऐतिहासिक संदर्भ
इस साल अप्रैल में, इज़राइल ने सीरिया के दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हवाई हमले किए, जिसमें सात ईरानी जनरलों की मौत हुई। इसके जवाब में ईरान ने इज़राइल पर लगभग 300 मिसाइलें और ड्रोन दागे, लेकिन इज़राइल को कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ। उस समय, इज़राइल ने जवाबी हमले की बात की थी, लेकिन अमेरिका के भारी दबाव के कारण इज़राइल ने सीमित हमले को प्राथमिकता दी थी।
एक अक्तूबर को ईरानी हमले के बाद, अमेरिका की भाषा में बदलाव आया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, और अमेरिका इज़राइल के साथ खड़ा है। यह माना जा रहा है कि अगर युद्ध बढ़ता है, तो अमेरिका भी इसमें शामिल हो सकता है।