सीरिया सिविल वॉर: मोहम्मद अल जोलानी का उभरता हुआ चेहरा, सिर पर 84 करोड़ का इनाम
सीरिया में चल रहे सिविल वॉर ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। राष्ट्रपति बशर-अल-असद के शासन के खिलाफ विद्रोहियों की जीत के बाद, सीरिया में एक नया नाम तेजी से चर्चा में आया है – मोहम्मद अल जोलानी। जोलानी, जो पहले अल-कायदा से जुड़े संगठन के प्रमुख थे, अब सीरिया के सिविल वॉर में एक प्रमुख प्रतिरूप के रूप में उभरे हैं। उनका नाम अब सीरिया में चल रहे संघर्ष के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन चुका है। आइए जानते हैं, मोहम्मद अल जोलानी के बारे में विस्तार से।
प्रारंभिक जीवन और संघर्ष की शुरुआत
मोहम्मद अल जोलानी का जन्म 1982 में दमिश्क, सीरिया में हुआ था। उनका असली नाम अहमद अल शारा था। जोलानी का बचपन संघर्षों से भरा हुआ था। उनका परिवार सीरिया के युद्ध के कारण कई बार संकटों का सामना कर चुका था। 1967 के युद्ध में उनका परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गया था, और इसके बाद जोलानी ने अपनी गुमनाम जिंदगी जीनी शुरू की। उन्होंने अपने पिता के साथ एक छोटे से ग्रोसरी स्टोर में काम किया, जिससे उनका परिवार चलता था।
उनके शुरुआती जीवन के संघर्षों ने उन्हें एक कठिन और जुझारू व्यक्तित्व दिया, जो बाद में सीरिया के सबसे बड़े संघर्षों का हिस्सा बनने जा रहा था।
अलकायदा से जुड़ाव और गिरफ्तारी
2001 में 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ा और इसके परिणामस्वरूप सीरिया में भी आतंकवादियों की गतिविधियों में वृद्धि हुई। जोलानी ने इस समय का फायदा उठाते हुए इस्लामिक संघर्ष में हिस्सा लेने का निर्णय लिया और लेबनान में स्थित अल-कायदा के साथ जुड़कर आतंकवादी गतिविधियों में भाग लिया।
सीरिया और बगदाद में अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए जोलानी ने अल-कायदा के साथ मिलकर कई आतंकी हमले किए। 2005 में जोलानी को मोसुल में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अमेरिकी जेल में बंद कर दिया गया। जेल में रहते हुए उनकी विचारधारा और आतंकवादी गतिविधियाँ और भी कट्टर होती गईं।
अल-नुसराह फ्रंट और हयात तहरीर अल-शाम का गठन
सीरिया में 2011 में जब असद सरकार ने विद्रोहियों पर हमले शुरू किए, तब जोलानी को इस्लामिक स्टेट के प्रमुख अबू बकर अल-बगदादी द्वारा सीरिया में भेजा गया। जोलानी सीरिया में अल-कायदा के सहयोगी के रूप में विद्रोहियों का नेतृत्व करने लगे। यही वह समय था जब उन्होंने अपनी ताकत और प्रभाव को सीरिया में विस्तार देना शुरू किया।
2017 में अल-नुसराह फ्रंट (ANF), जो कि अल-कायदा से जुड़ा हुआ एक संगठन था, ने कई कट्टरपंथी समूहों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का गठन किया। हालांकि जोलानी HTS के प्रमुख नहीं बने, लेकिन वह अल-कायदा से जुड़े ANF के प्रमुख बने रहे। इस संगठन ने सीरिया के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी हमले किए और असद सरकार के खिलाफ संघर्ष किया।
सीरिया में आतंकवादी हमले और विवादित कृत्य
जोलानी के नेतृत्व में अल-नुसराह फ्रंट ने कई बड़े आतंकवादी हमले किए। अप्रैल 2015 में ANF ने सीरिया के एक चेकपॉइंट से 300 कुर्द नागरिकों का अपहरण कर लिया था, जिसे बाद में रिहा किया गया। इस प्रकार की घटनाओं ने जोलानी और उनके संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात बना दिया।
इसके अतिरिक्त, जोलानी के नेतृत्व में हुए हमलों और उनकी कट्टरपंथी गतिविधियों ने सीरिया के सिविल वॉर को और भी जटिल बना दिया। उनके नाम पर कई युद्ध अपराधों का आरोप लगा है और वे सीरिया में सबसे ज्यादा वांछित आतंकवादियों में से एक हैं।
अमेरिका द्वारा 84 करोड़ रुपये का इनाम
अमेरिका ने मोहम्मद अल जोलानी के सिर पर 84 करोड़ रुपये का इनाम रखा है, क्योंकि वह अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन के प्रमुख हैं। अमेरिका का दावा है कि जोलानी ने सीरिया में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है और कई आतंकवादी हमलों में उनकी भूमिका रही है। इसके बावजूद, जोलानी की पकड़ सीरिया के विद्रोहियों और कट्टरपंथियों के बीच मजबूत बनी हुई है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावना
आज के समय में, मोहम्मद अल जोलानी सीरिया के सिविल वॉर में एक प्रमुख चेहरा बन चुके हैं। उनके नेतृत्व में हयात तहरीर अल-शाम ने सीरिया में कई महत्वपूर्ण हिस्सों पर कब्जा किया है। हालांकि, उनकी गतिविधियों के कारण उन्हें वैश्विक स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनका प्रभाव अब भी सीरिया में बढ़ता जा रहा है।
जोलानी के नेतृत्व में सीरिया में कई आतंकवादी हमले और संघर्ष हो रहे हैं, और उनकी कड़ी निंदा की जा रही है। हालांकि, सीरिया के विद्रोही गुटों के बीच उनका प्रभाव बरकरार है, और उनकी भूमिका आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
निष्कर्ष
मोहम्मद अल जोलानी का नाम आज सीरिया के सिविल वॉर के सबसे विवादास्पद और प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता है। उनके खिलाफ अमेरिका ने 84 करोड़ रुपये का इनाम रखा है, लेकिन उनके समर्थक उन्हें एक मजबूत और कट्टरपंथी नेता के रूप में देखते हैं। सीरिया के सिविल वॉर में उनकी भूमिका ने उन्हें एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में स्थापित किया है, लेकिन उनका प्रभाव अभी भी सीरिया में मजबूत बना हुआ है।