अफगानिस्तान की अस्थिरता: भारत के लिए नया संकट
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का पुनरुत्थान
अफगानिस्तान में अस्थिरता और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पुनरुत्थान ने पाकिस्तान को हिंसा की लहर में धकेल दिया है। टीटीपी, जो अफगान तालिबान के साथ वैचारिक संबंध साझा करता है, पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हमले तेज कर चुका है। पाकिस्तान का आरोप है कि यह हिंसा अफगान धरती से हो रही है और काबुल टीटीपी को शरण दे रहा है। इन परिस्थितियों ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों में तनाव को और बढ़ा दिया है।
ऐतिहासिक रणनीतियों का दुष्परिणाम
पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही “रणनीतिक गहराई” की खोज ने उसे अफगानिस्तान में लाभ पहुंचाने के बजाय सुरक्षा चुनौतियों में डाल दिया है। 9/11 के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाले आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल होने के बावजूद, पाकिस्तान ने तालिबान को गुप्त रूप से समर्थन देना जारी रखा। इसका नतीजा 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के रूप में सामने आया। हालांकि, तालिबान की यह विजय पाकिस्तान के लिए महंगी साबित हुई।
सीमा पर बढ़ता तनाव
पाकिस्तान का दावा है कि अफगान शरणस्थलों से टीटीपी के लड़ाके उसके खिलाफ हमले कर रहे हैं। वहीं, अफगानिस्तान पाकिस्तान की एकतरफा सैन्य कार्रवाइयों, जैसे कि सीमा पार हवाई हमलों, को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। हाल ही में पाकिस्तान द्वारा अफगान पक्तिका प्रांत में किए गए हवाई हमलों में 46 नागरिकों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश वजीरिस्तान के शरणार्थी थे।
उच्च स्तरीय वार्ताएं
हाल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के नेताओं के बीच हुई उच्च-स्तरीय वार्ताओं ने तनाव कम करने का संकेत दिया है। दोनों पक्षों ने सहयोग मजबूत करने और साझा चुनौतियों का समाधान तलाशने की सहमति जताई है। हालांकि, सीमा पर बढ़ते झगड़े और आरोप-प्रत्यारोप इस प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं।
टीटीपी का प्रभाव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में करीब 6,500 टीटीपी लड़ाके मौजूद हैं। अफगान तालिबान टीटीपी को आतंकवादी संगठन नहीं मानता, जिससे पाकिस्तान के लिए अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना और अधिक मुश्किल हो गया है।
भारत की चिंता
अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बढ़ती हिंसा भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है। पिछले एक वर्ष में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई है। आतंकवादियों द्वारा आधुनिक हथियारों के उपयोग ने सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
स्थिरता के लिए भारत की रणनीति
भारत को इस संकट का प्रभाव सीमित करने के लिए सक्रिय रहना होगा। सीमा सुरक्षा को मजबूत करना, खुफिया जानकारी जुटाना और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे। पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाए रखेगा, तब तक वह खुद भी हिंसा और अस्थिरता के चक्र में फंसा रहेगा।
दक्षिण एशिया की स्थिरता पर खतरा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हिंसा से पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। भारत को इस चुनौतीपूर्ण समय में एक सुविचारित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी।