दिल्ली को पहला अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री मिल सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे की घोषणा की है। आप कुलदीप कुमार पर दांव लगा सकती है, जो इस समुदाय से आते हैं। इस रणनीति से राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा सियासी संदेश जाएगा, खासकर हरियाणा और महाराष्ट्र में। दिल्ली विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ सकता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नए सीएम की दौड़ में मौजूदा मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज भी शामिल हैं। शीर्ष नेतृत्व ने अभी सभी विकल्प खुले रखे हैं और अगले दो दिनों में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन किया जाएगा।
पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि आप राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है, विशेषकर दिल्ली और पंजाब के बाद अन्य राज्यों में। हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि दोनों राज्यों में अनुसूचित जाति के वोटरों की बड़ी संख्या है। हरियाणा में 21 फीसदी एससी वोटर हैं और 17 सीटें आरक्षित हैं, जबकि महाराष्ट्र में 13 फीसदी एससी वोटर हैं और 29 आरक्षित सीटें हैं। दिल्ली में एससी मुख्यमंत्री बनाने से पार्टी को इन राज्यों में अपना सियासी संदेश मजबूत करने का मौका मिलेगा और लोकसभा चुनावों में दिल्ली की आरक्षित सीटों पर कमतर प्रदर्शन के बावजूद लाभ हो सकता है।
दिल्ली में फरवरी में चुनाव के आसार हैं, जिससे नए मुख्यमंत्री की भूमिका की सियासी महत्वाकांक्षा और भी बढ़ जाती है। अगले पांच महीनों में, नए सीएम को पूरी तरह से चुनावी मोड में काम करना होगा। इस दौरान, पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल और अन्य वरिष्ठ नेता जनता के बीच रहेंगे, जिससे नए मुख्यमंत्री के अनुभव या अनुभवहीनता का असर आप और उसकी सरकार की छवि पर कम पड़ेगा। ऐसे में पार्टी को नुकसान होने का जोखिम भी कम है।
दिल्ली में 1952 से अब तक सात मुख्यमंत्री बन चुके हैं। पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश यादव समुदाय से थे, दूसरे मुख्यमंत्री गुरमुख निहाल सिंह सिख समुदाय से थे। इसके बाद 1993 में पंजाबी समुदाय से मदन लाल मुख्यमंत्री बने। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने, जिनमें से कोई भी अनुसूचित जाति (एससी) का चेहरा नहीं था।
लोकसभा चुनावों में, आप ने एससी कार्ड भी खेला था, जब पूर्वी दिल्ली की सामान्य सीट से कुलदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया था। कुलदीप कुमार वाल्मीकि समुदाय से आते हैं और अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद माने जाते हैं। ऐसे में, आप उनके चेहरे पर दांव लगा सकती है। इसके अतिरिक्त, 12 आरक्षित सीटों के 11 अन्य विधायकों ने भी अपने स्तर पर काम किया है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आतिशी पर पूरा भरोसा है। उनके पास सरकार में अनुभव है और तिहाड़ जेल में जाने के बाद भी केजरीवाल ने दिल्ली सरकार से जुड़े सभी फीडबैक आतिशी से ही लिए थे। 15 अगस्त को तिरंगा फहराने के लिए भी केजरीवाल ने आतिशी का नाम प्रस्तावित किया था। अपने भाषण में केजरीवाल ने यह भी उल्लेख किया कि तिरंगा फहराने के लिए जेल से भेजी गई एकमात्र चिट्ठी उपराज्यपाल तक नहीं पहुंच पाई थी। इसके अलावा, महिला सम्मान योजना, जिसमें दिल्ली की महिलाओं को हर माह एक हजार रुपये देने का प्रस्ताव है, को भी मंत्री आतिशी ही देख रही हैं। नई सरकार बनने पर इस योजना को लागू करने का पहला निर्णय हो सकता है, जिससे आतिशी की मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी मजबूत होती है। इसके साथ ही, सौरभ भारद्वाज का नाम भी चर्चा में है।