रांची में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दौरा 19-20 सितंबर को होगा। वे 20 सितंबर को नामकुम स्थित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (ICAR-NISA) के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। इस खास अवसर पर झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति भी होगी। ICAR-NISA के निदेशक डॉ. अभिजीत कर ने इस आयोजन की जानकारी दी है।
20 सितंबर 2024 को रांची के नामकुम स्थित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (ICAR-NISA) के शताब्दी समारोह का आयोजन होगा। इस संस्थान को पहले भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद अनुसंधान संस्थान और भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान के नाम से जाना जाता था। शताब्दी समारोह के इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। यह आयोजन संस्थान की 100 साल की उपलब्धियों और योगदान को सम्मानित करने के लिए किया जा रहा है।
शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा, इस आयोजन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, और रांची के सांसद तथा केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
शताब्दी समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वरीय अधिकारी भी शामिल होंगे। इसमें डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर, D.A.R.E.) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. श्याम नारायण झा, उपमहानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी), और डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह, सहायक महानिदेशक (प्रक्षेत्र अभियांत्रिकी) शामिल होंगे। इसके अलावा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, केंद्र और राज्य सरकारों के उच्च अधिकारी, कृषि से संबंधित व्यवसायी, वैज्ञानिक, और लगभग 8 से 10 हजार किसान (जिनमें से 3 से 4 हजार व्यक्तिगत रूप से और 5 से 6 हजार जूम लिंक और यूट्यूब के माध्यम से) समारोह में भाग लेंगे।
शताब्दी समारोह के दौरान, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), तीन विशेष पुस्तकों का लोकार्पण करेंगे: “माय स्टांप”, “लाक्षा 2024”, और “विज़न 2047: 100 वर्षों की उत्कृष्टता”। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्य पोस्टमास्टर जनरल झारखंड विधान चंद्र रॉय, उपमहानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी), और सहायक महानिदेशक (प्रक्षेत्र अभियांत्रिकी) भी उपस्थित रहेंगे। संस्थान के निदेशक ने बताया कि पिछले एक सदी में संस्थान ने लाखों किसानों को वैज्ञानिक खेती और प्रसंस्करण में मदद की है, जिसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल के पिछड़े जिलों के आदिवासी और गरीब किसान शामिल हैं। इस कार्य ने करीब 10 लाख कृषि परिवारों को लाभान्वित किया है और भारत को लाख उत्पादन में अग्रणी बनाए रखा है। संस्थान ने लाख के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुरक्षित किया और इसे कृषि उत्पाद के रूप में मान्यता दिलाई। “कुसुमी लाख उत्पादन बेर के पेड़ों पर” और “फ्लेमिंजिया सेमियालता पर लाख खेती” जैसी प्रौद्योगिकियों ने लाख को एक प्लांटेशन फसल में बदल दिया है, जिससे भारत सालाना लगभग 8,000 टन लाख और मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करता है।