दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कालिंदी कुंज थानाक्षेत्र में यूनानी डॉक्टर जावेद अख्तर की हत्या के मामले में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हत्या का आरोपी एक नाबालिग है, जिसकी उम्र अभी 16 वर्ष भी पूरी नहीं हुई, लेकिन वह बड़ा गैंगस्टर बनने के सपने देख रहा था। इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उसने एक महीने पहले इंस्टाग्राम पर घोषणा की थी कि वह वर्ष 2024 में एक मर्डर करेगा। डॉक्टर जावेद अख्तर की हत्या करने के तुरंत बाद, उसने इंस्टाग्राम पर लिखा, “कर दिया 2024 का मर्डर,” मानो यह उसकी आपराधिक योजना की सफलता की घोषणा हो। पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर यह भी सामने आया कि वह अपने इलाके में अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता था। इस नाबालिग अपराधी को गिरफ्तार करने के बाद, जैतपुर पुलिस ने उसके दो अन्य नाबालिग साथियों को भी हिरासत में ले लिया, जो उसके साथ इस हिंसक साजिश में शामिल थे।
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त राकेश पावरिया ने बताया कि यह नाबालिग स्थानीय बदमाशों और उनकी लाइफस्टाइल से अत्यधिक प्रभावित था। वह भी उन्हीं की तरह अपराध जगत में एक बड़ा नाम बनाना चाहता था। इसके लिए उसने यमुना पार से एक कट्टा (पिस्टल) खरीदा और एक महीने पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि वह 2024 में एक मर्डर करेगा। यह पोस्ट उसने अपने हाथ में पिस्टल पकड़े हुए की थी। बाद में, जब उसने डॉक्टर जावेद अख्तर की हत्या कर दी, तो उसने उसी पोस्ट को दोबारा अपडेट कर लिखा, “और कर दिया 2024 का मर्डर।”
इस हत्याकांड का मुख्य कारण डॉक्टर द्वारा अस्पताल में आरोपी को “औकात” जैसे शब्दों से अपमानित किया जाना था। बताया जा रहा है कि आरोपी का फरीदाबाद में एक्सीडेंट हो गया था, जिसके इलाज के लिए वह अस्पताल आया था, जहां डॉक्टर जावेद अख्तर ने उसका इलाज किया था। इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा किए गए अपमान ने नाबालिग को इतना आक्रोशित कर दिया कि उसने डॉक्टर को मारने की ठान ली। कुछ दिन बाद, वह अस्पताल वापस आया और डॉक्टर को गोली मार दी।
इस घटना के बाद पुलिस ने नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया और उसके अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार को भी बरामद कर लिया। साथ ही, दो और नाबालिग साथियों को भी गिरफ्तार किया गया, जो इस हत्याकांड में शामिल थे। यह घटना समाज में बढ़ते नाबालिग अपराधियों की ओर इशारा करती है, जो बहुत ही कम उम्र में अपराध के दलदल में फंसते जा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ऐसे किशोरों को आपराधिक रास्ते से हटाने के लिए मानसिक काउंसलिंग और पुनर्वास के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि समाज को इस तरह की घटनाओं से बचाया जा सके।