महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है
युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और दिवंगत नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे, जीशान सिद्दीकी ने राकांपा (NCP) का दामन थाम लिया है। जीशान के राकांपा में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें बांद्रा निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह कदम कांग्रेस के लिए चुनाव से पहले एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
इसके साथ ही, भाजपा के पूर्व सांसद संजयकाका पाटिल भी राकांपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजित पवार की उपस्थिति में राकांपा में एंट्री की। राकांपा में शामिल होने के बाद संजयकाका पाटिल ने मीडिया से बातचीत की और कहा, “राकांपा महायुति का हिस्सा है। हमारे जिले की इस्लामपुर सहित दो सीटें एनसीपी को दी गई हैं। मुझे चुनाव लड़ना था, इसलिए मैंने पार्टी बदलने का फैसला लिया।” संजयकाका के इस फैसले से भाजपा को झटका लगा है, खासकर तब जब चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
इससे पहले, राकांपा ने अपने वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के बेटे पंकज भुजबल को नासिक जिले के येओला विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा, भुजबल के भतीजे समीर भुजबल भी नासिक के नंदगांव निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के मौजूदा विधायक सुहास कांडे के खिलाफ मैदान में हैं। राकांपा ने इस बार अपने उम्मीदवारों को चुनने में विशेष रणनीति अपनाई है, जिससे पार्टी चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 22 अक्तूबर से शुरू हो चुकी है और इसकी आखिरी तारीख 29 अक्तूबर है। चुनाव 20 नवंबर को होंगे, और इसके नतीजे यह तय करेंगे कि राज्य की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी। चुनाव से पहले नेताओं का पार्टी बदलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार की हलचल ने राजनीतिक पारा और बढ़ा दिया है।
2019 के चुनावों में, 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिली थीं। वहीं, भाजपा की सहयोगी शिवसेना को 56 सीटें हासिल हुई थीं। दूसरी ओर, राकांपा को 54 और उसकी सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटों पर सफलता मिली थी। इस बार भी चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है, क्योंकि राजनीतिक दल नए गठजोड़ और रणनीतियों के साथ मैदान में उतर रहे हैं।
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राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना के बीच महायुति इस बार भाजपा के खिलाफ कड़ी टक्कर देने की कोशिश कर रही है। भाजपा भी अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना से अलग होकर नई रणनीति के साथ चुनाव में उतरेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी मैदान में कौन बाजी मारता है।
अभी के राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, महाराष्ट्र की राजनीति में कई नए मोड़ और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है, और सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों के चयन और प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।