देवेंद्र फडणवीस ने ली महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ, एकनाथ शिंदे की भूमिका पर सस्पेंस कायम
महाराष्ट्र में बीते दिन एक बार फिर राजनीतिक इतिहास रचते हुए देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह उनका तीसरा कार्यकाल है, और उन्होंने जनता को स्थिर और पारदर्शी सरकार देने का वादा किया। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की भूमिका को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है।
2019 से अब तक का राजनीतिक सफर
महाराष्ट्र में पिछले कुछ वर्षों में लगातार राजनीतिक उठापटक देखने को मिली है। 2019 में विधानसभा चुनावों के बाद BJP और शिवसेना का गठबंधन टूटने से शिवसेना, NCP और कांग्रेस ने मिलकर महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार बनाई थी। लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत ने इस गठबंधन को गिरा दिया। शिंदे ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। अब हाल ही में हुए चुनावों के बाद, देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल ली है।
बदलाव की राजनीति पर जोर
शपथ ग्रहण के बाद फडणवीस ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, “यह सरकार बदले की नहीं, बल्कि बदलाव की राजनीति करेगी। 2019 से 2022 के बीच कई घटनाएँ हुईं। अब उम्मीद है कि ऐसे झटके भविष्य में नहीं आएँगे।”
विकास और पारदर्शिता का वादा
फडणवीस ने इस महायुति सरकार को जनहितैषी बताते हुए पारदर्शिता और तेज विकास का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता राज्य को विकास के पथ पर आगे ले जाना है। यह सरकार जनता के विश्वास पर खरी उतरेगी।
विपक्ष के नेता का मुद्दा
विधानसभा में विपक्ष के नेता (LoP) की नियुक्ति को लेकर फडणवीस ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय नई विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार क्षेत्र है। उन्होंने यह भी कहा कि जब विपक्षी पार्टी के पास पर्याप्त संख्या नहीं होती, तो सबसे बड़े दल के नेता को अधिकार दिए जाते हैं, जैसा लोकसभा में भी देखा गया है।
शिंदे की भूमिका पर सवाल
शपथ ग्रहण के दिन एकनाथ शिंदे की भूमिका को लेकर अटकलें जारी रहीं। शिंदे के समर्थक इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि उन्हें सरकार में कौन-सी भूमिका दी जाएगी। हालांकि, फडणवीस ने यह संकेत दिया कि राज्य में अब स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
फडणवीस की यह नई पारी महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता लाने और जनता की उम्मीदों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।