Delhi Air Pollution Crisis: पराली का धुआं बढ़ा रहा प्रदूषण, सांस लेना हुआ मुश्किल!
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे राजधानी में लोगों की सांसें थम-सी गई हैं। हवा में बढ़ते इस जहर का प्रमुख कारण है पड़ोसी राज्यों, खासकर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना। इन राज्यों से उठने वाला धुआं तेज़ हवाओं के साथ दिल्ली की ओर बहकर यहां की हवा को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का वायु प्रदूषण स्तर अब 35 प्रतिशत तक बढ़ गया है और आने वाले दिनों में हालात और भी खराब होने की संभावना है।
पराली जलाने के मामलों में तेजी
15 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच पराली जलाने के कुल 9376 मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे दिल्ली के प्रदूषण स्तर में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। खासकर बीते दो दिनों में पराली जलाने के 861 नए मामले सामने आए हैं। कंस्टोरियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAMS) की सैटेलाइट रिपोर्ट के अनुसार, इन 861 मामलों में से 379 मामले पंजाब, 19 हरियाणा, 87 उत्तर प्रदेश, 80 राजस्थान और 296 मध्य प्रदेश से हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि पराली जलाने का संकट अब दिल्ली के लिए वायु प्रदूषण का एक गंभीर कारण बन चुका है।
अगले सात दिनों में स्थिति हो सकती है और गंभीर
दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने वाली संस्था, एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार, अगले सात दिनों में AQI का स्तर 350 से ऊपर बने रहने का अनुमान है, जो कुछ मौकों पर 400 के स्तर को भी पार कर सकता है। इस गंभीर स्थिति का प्रभाव दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ने की आशंका है। सीईईडब्ल्यू के सीनियर प्रोग्राम लीडर अभिषेक कर का कहना है कि इस साल दिवाली पर पिछले साल की तुलना में AQI में मामूली कमी आई है, जिसका मुख्य कारण मौसम की अनुकूलता और हवा की गति में वृद्धि रहा है। एक नवंबर को हवा की रफ्तार सुबह 7 बजे से शाम चार बजे तक 2 मीटर प्रति सेकंड से ज्यादा रही, जिससे प्रदूषक फैल गए और प्रदूषण कम रहा।
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समाधान की दिशा में सख्त कदमों की आवश्यकता
विभिन्न विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने को रोकने के लिए उन राज्यों में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, जहां से हवाएं दिल्ली की ओर आती हैं। पराली जलाने से होने वाला धुआं दिल्ली के AQI को खतरनाक स्तर तक ले जा सकता है, जिससे यहां के लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसके समाधान के लिए सरकारों और संबंधित एजेंसियों को सक्रियता दिखानी होगी। विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसानों के लिए पराली प्रबंधन के बेहतर विकल्पों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि पराली जलाने के मामलों में कमी आए।
राजधानी में हालात बेहद चिंताजनक
पराली के धुएं के चलते दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। बच्चों, बुजुर्गों और श्वास रोगियों के लिए यह स्थिति अधिक खतरनाक साबित हो रही है। आने वाले दिनों में दिल्ली में AQI के और बढ़ने का खतरा है, जिससे स्वास्थ्य के स्तर पर इसके दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं। यही कारण है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जरूरी है कि पराली जलाने पर सख्ती से रोक लगाई जाए, ताकि राजधानी की हवा को थोड़ा साफ-सुथरा बनाया जा सके और लोग खुली हवा में सांस ले सकें।