सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या मामले की सुनवाई के दौरान एक अजीब वाकया सामने आया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में चल रही सुनवाई में, भारतीय जनता पार्टी के नेता और वकील कौस्तव बागची की तेज आवाज और आक्रामक तरीके पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने नाराजगी जताई।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा, और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर की रेप और हत्या मामले की सुनवाई की। इस दौरान, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने हत्या और डॉक्टरों के प्रदर्शन पर अपनी बात रखी।
सिब्बल के बयान पर वकील कौस्तव बागची और अन्य वकीलों ने नाराजगी जताई, यह कहते हुए कि एक वरिष्ठ वकील द्वारा अदालत में इस तरह का बयान देना उचित नहीं है। इसके साथ ही, सीजेआई चंद्रचूड़ ने बागची को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें अदालत की गरिमा का सम्मान करना चाहिए और गैलरी में खड़े दर्शकों को नहीं, बल्कि पीठ को संबोधित करना चाहिए।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर की रेप और हत्या मामले की सुनवाई के दौरान, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील कौस्तव बागची को उनके तेज आवाज में संबोधन के लिए फटकार लगाई। सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा, “क्या आप अदालत के बाहर गैलरी को संबोधित करने की कोशिश कर रहे हैं? मैं पिछले दो घंटों से आपके व्यवहार पर गौर कर रहा हूं। कृपया अपनी आवाज धीमी करें। आप तीन न्यायाधीशों को संबोधित कर रहे हैं, न कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर देख रहे दर्शकों को।”
इस फटकार के बाद, बागची ने अदालत से माफी मांगी।सुनवाई के दौरान, एक साथ कई वकील अलग-अलग मुद्दों पर बहस करने लगे, जिससे कोर्ट का माहौल काफी गर्म हो गया। सीजेआई ने भड़कते हुए कहा, “मैं इस तरह की वकालत का आदी नहीं हूं जहां 7-8 लोग एक ही समय में बहस कर रहे हों।”
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या की फॉरेंसिक जांच पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को अगले मंगलवार तक नई रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया और फोरेंसिक रिपोर्ट को हरी झंडी दे दी। हालांकि, सुनवाई के दौरान एक बड़ा सवाल उठ गया कि “नमूने किसने इकट्ठा किए थे?” कोर्ट ने इस मुद्दे पर भी ध्यान देने की जरूरत जताई, ताकि जांच की पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।