CJI DY Chandrachud ने ट्रोल करने वालों को दी मजेदार विदाई, कहा- ‘अब वो बेरोजगार हो जाएंगे’
देश के Chief Justice DY Chandrachud ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर भावुक विदाई दी। इस खास मौके पर चार जजों की एक बेंच ने उन्हें सम्मानित किया, जिसमें CJI-पदनामित Justice Sanjeev Khanna, Justice JB Pardiwala और Justice Manoj Mishra शामिल थे। CJI ने अपने कार्यकाल पर संतोष व्यक्त किया और खासकर जरूरतमंदों की सेवा में काम करने को लेकर अपनी खुशी जाहिर की। हालांकि, इस विदाई के दौरान उन्होंने एक मजेदार टिप्पणी की, जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई।
ट्रोलिंग पर मजेदार टिप्पणी
CJI Chandrachud ने अपने ट्रोल करने वालों के बारे में मजाकिया अंदाज में कहा, “मुझे लगता है कि मैं पूरे सिस्टम में सबसे ज्यादा ट्रोल किए जाने वाले जजों में से एक हूं। अब मुझे सोचने का वक्त मिल रहा है कि सोमवार से क्या होगा। मेरे ट्रोल करने वाले लोग अब बेरोजगार हो जाएंगे!” उनकी यह टिप्पणी सुनकर कमरे में हंसी का माहौल बन गया।
सीजेआई का भावुक Farewell Speech
अपने Farewell Speech में CJI ने Indian Judiciary में अपने योगदान और सेवा की अहमियत पर बात की। उन्होंने कहा कि “जब तक आप उन लोगों की मदद करने में सक्षम नहीं होते, जिनसे आप कभी नहीं मिलते, तब तक आपको यह एहसास नहीं होता कि आपके द्वारा किया गया कार्य कितना बड़ा होता है।” उनके लिए सबसे बड़ा गर्व यह था कि वह उन लोगों के जीवन को प्रभावित कर सके जिनकी मदद से समाज में बदलाव आया।
CJI Chandrachud ने यह भी कहा कि उन्हें अदालत से हमेशा प्रेरणा मिली है। “अदालत ने मुझे कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि मैंने कुछ नया नहीं सीखा, या मुझे समाज की सेवा करने का मौका नहीं मिला।” वह हमेशा मानते थे कि इस पवित्र संस्था में हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है, जो उन्हें और अधिक प्रेरित करता है।
न्यायपालिका में उनके योगदान की सराहना
CJI DY Chandrachud का करियर उल्लेखनीय रहा है। उनका जन्म 11 नवम्बर 1959 को हुआ था, और उन्होंने न्यायपालिका में बड़ी सफलता हासिल की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बॉम्बे हाई कोर्ट से की थी, जहां उन्हें जून 1998 में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। बाद में, वह 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने और 2013 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य किया। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, विशेषकर उनकी पहल से न्यायिक सुधारों को बढ़ावा मिला।
अदालत और समाज में योगदान की प्रेरणा
अपने कार्यकाल के दौरान, CJI ने अदालत के भीतर काम करते हुए यह महसूस किया कि समाज की सेवा और न्याय की सच्ची भावना से बड़ा कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत ही है, जिसने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
किसी भी फैसले का असर लोगों की जिंदगी पर
CJI Chandrachud ने यह बताया कि उनके लिए सबसे बड़ी खुशी यह रही कि वह लोगों की मदद कर सके, खासकर उन जरूरतमंदों की, जिनसे उनका कभी सामना नहीं हुआ। उनका मानना था कि अदालत में उनके द्वारा किए गए फैसले न केवल कानून का पालन करते थे, बल्कि वह उन लोगों की मदद करते थे जिनकी आवाज दब जाती थी।
निष्कलंक न्यायिक यात्रा
CJI DY Chandrachud का सफर अत्यंत प्रेरणादायक रहा है। एक साधारण शुरुआत से लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख पद तक उनका सफर उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने हमेशा न्याय की दिशा में अपनी भूमिका निभाई, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आया।
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न्यायपालिका का मापदंड बने CJI चंद्रचूड़
सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद, उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा। वह न केवल एक मजबूत न्यायविद के रूप में पहचाने जाएंगे, बल्कि उनके द्वारा न्याय के प्रति की गई मेहनत और उनके योगदान से पूरी दुनिया में Indian Judiciary (भारतीय न्यायपालिका) का सम्मान बढ़ा।
इस विदाई भाषण के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणियां सिर्फ मजाकिया नहीं थीं, बल्कि यह भी दिखाती थीं कि वह एक सच्चे न्यायाधीश थे, जो अपने कार्य को हल्के और गंभीर दोनों ही तरीके से देखते थे। अब जब वह रिटायर हो रहे हैं, उनका यह संदेश हमें यह सिखाता है कि न्याय सिर्फ कोर्ट में नहीं, बल्कि समाज के हर हिस्से में प्रभाव डालता है।