खबरीलाल। भारत की आजादी का संघर्ष भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण और गर्वमय अध्याय है। 15 अगस्त 1947 का दिन हर भारतीय के लिए स्वतंत्रता और राष्ट्रीयता की भावना का प्रतीक है। इस दिन भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य के 200 से अधिक वर्षों के शासन से मुक्ति पाई और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान स्थापित की।
भारत की आजादी की कहानी सिर्फ एक दिन की घटना नहीं है, बल्कि यह कई दशकों तक चलने वाले संघर्षों, बलिदानों और असीम धैर्य का परिणाम है। इसकी शुरुआत 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से मानी जाती है, जिसे भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है। हालांकि, यह संग्राम असफल रहा, लेकिन इसने भारतीय जनता के बीच स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया।
19वीं सदी के उत्तरार्ध और 20वीं सदी के प्रारंभ में, देश में स्वतंत्रता की भावना और प्रबल हुई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई, जिसने आजादी की लड़ाई को संगठित और प्रभावी रूप से आगे बढ़ाया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने एक नया मोड़ लिया। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट किया।
गांधीजी के नेतृत्व में हुए प्रमुख आंदोलनों में 1919 का खिलाफत आंदोलन, 1920-22 का असहयोग आंदोलन, 1930 का सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। इन आंदोलनों ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला दिया और अंततः उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया।
सिर्फ महात्मा गांधी ही नहीं, बल्कि सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, और अन्य कई नेता भी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया और सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करने का प्रयास किया। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और अन्य क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन किए और अपने प्राणों की आहुति दी।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली, कमला नेहरू, कस्तूरबा गांधी जैसी महिलाओं ने इस संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो यह सिर्फ एक राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं थी, बल्कि यह भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों, जातियों और धर्मों के बीच एकता का प्रतीक भी थी। स्वतंत्रता ने भारत को एक नए युग की ओर अग्रसर किया, जिसमें लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, और आर्थिक विकास के लिए प्रयास किए गए।
आजादी के बाद भारत ने एक लोकतांत्रिक और गणराज्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। संविधान का निर्माण हुआ, जो दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, और जिसने देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे में बाँध दिया।
भारत की आजादी की कहानी हमें यह सिखाती है कि स्वतंत्रता केवल अधिकारों का नहीं, बल्कि कर्तव्यों का भी प्रतीक है। स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों से मिली इस आजादी को बनाए रखना और इसे और मजबूत करना हर भारतीय का कर्तव्य है। इस स्वतंत्रता का महत्व केवल उस समय के लिए नहीं, बल्कि आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जब हम एक आधुनिक, समृद्ध और सशक्त भारत की ओर बढ़ रहे हैं।