लोकसभा में विपक्षी नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने RSS पर हमला बोलते हुए कहा, ‘RSS का मानना है कि भारत एक विचार है, जबकि हमारा मानना है कि भारत कई विचारों का संगम है। हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति को सपने देखने की आज़ादी हो, बिना किसी भेदभाव के। चुनाव में यह स्पष्ट हुआ कि प्रधानमंत्री संविधान पर हमला कर रहे हैं। मैं जो बातें कर रहा हूं, वे संविधान में शामिल हैं—राज्यों का संघ, भाषा और धर्म का सम्मान।
टेक्सास यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान, राहुल गांधी ने बेरोजगारी, शिक्षा और तकनीक के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों और भारत दोनों ही नौकरी के संकट का सामना कर रहे हैं और बेरोजगारी को कम करने के लिए भारत को अपने उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने चीन और वियतनाम का उदाहरण देते हुए कहा कि जबकि कई देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं ये देश इस चुनौती का सामना नहीं कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने ग्लोबल प्रोडक्शन में ऐतिहासिक परिवर्तनों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ’20वीं सदी के मध्य में अमेरिका और यूरोप ने विश्व स्तर पर उत्पादन का नेतृत्व किया।’ उन्होंने पिछले कुछ दशकों में हुए बदलावों का हवाला दिया, जिनके कारण प्रोडक्शन लाइन धीरे-धीरे अमेरिका से दक्षिण कोरिया, जापान और अंततः चीन में चली गई। आज चीन वैश्विक उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। गांधी ने इसे पश्चिम और भारत द्वारा विनिर्माण क्षेत्र से पीछे हटने का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका और यूरोप सहित पश्चिमी देशों ने विनिर्माण को चीन और वियतनाम जैसे देशों के लिए छोड़ दिया है।’
राहुल गांधी ने भारत को प्रोडक्शन के प्रति अपने दृष्टिकोण को फिर से परिभाषित करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा, ‘भारत यह नहीं मान सकता कि उत्पादन केवल अन्य देशों का क्षेत्र होगा। हमें अपनी विनिर्माण क्षमताओं को इस तरह से विकसित करना होगा जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप हो।’ उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के बारे में भी बात की, यह बताते हुए कि इसने उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को बदल दिया है। उन्होंने कहा, ‘भारत जोड़ो यात्रा ने मेरे काम के प्रति सोचने के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया। सबसे शक्तिशाली बात जो स्वाभाविक रूप से हुई, वह थी राजनीति में प्रेम के विचार का प्रवेश।’
राहुल गांधी ने भारत में शिक्षा और कौशल के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि बड़ी समस्या कौशल की कमी नहीं, बल्कि कुशल व्यक्तियों के प्रति सम्मान की कमी है। उन्होंने कहा, ‘भारत में कौशल रखने वाले लोगों को उचित सम्मान नहीं मिलता।’ उन्होंने शिक्षा प्रणाली और व्यवसाय क्षेत्र के बीच के अंतर की आलोचना की और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से बेहतर एकीकरण की वकालत की। उनका कहना था, ‘हमारी शिक्षा प्रणाली व्यवसाय प्रणाली से जुड़ी नहीं है।’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर चर्चा करते हुए राहुल ने इसके साथ आने वाली चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, ‘नई तकनीक के आने पर यह तर्क किया जाता है कि यह नौकरियां छीन लेगी। यह कुछ नौकरियां समाप्त कर सकती है, लेकिन कई नई नौकरियां भी उत्पन्न करेगी।’