उम्र के हिसाब से बच्चों की क्या होनी चाहिए Ideal Screen Time? पढ़ें IAP की नई गाइडलाइंस
Ideal Screen Time For Kids By Age: आजकल छोटे बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। मोबाइल, लैपटॉप और टीवी का इस्तेमाल अब बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। स्कूल के काम, ट्यूशन या अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए भी उन्हें डिजिटल डिवाइस का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, ज्यादा समय तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
इसलिए, बच्चों के स्क्रीन टाइम का ध्यान रखना माता-पिता के लिए बेहद जरूरी हो गया है। आइए जानते हैं कि अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए सही स्क्रीन टाइम क्या होना चाहिए और इससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर क्या असर पड़ता है।
क्या होनी चाहिए बच्चों की स्क्रीन टाइम?
IAP Guidelines: भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी (IAP) ने बच्चों और किशोरों के लिए स्क्रीन टाइम के बारे में नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस में विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए स्क्रीन का सही उपयोग बताया गया है। इन दिशा-निर्देशों का पालन कर बच्चों का डिजिटल स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
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Kids Screen Time Impact
- 0 से 2 साल के बच्चों के लिए: IAP के अनुसार, इस उम्र में बच्चों को स्क्रीन टाइम से पूरी तरह बचाना चाहिए। स्क्रीन के संपर्क में आने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। इस उम्र में बच्चों को केवल असली दुनिया के अनुभवों से जुड़ने का मौका मिलना चाहिए।
- 2 से 5 साल के बच्चों के लिए: इस उम्र में बच्चों को दिन में 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं देना चाहिए। बच्चों को टीवी या मोबाइल पर कार्टून या शैक्षिक कार्यक्रम देखने के बजाय, शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर देना चाहिए।
- 6 से 12 साल के बच्चों के लिए: इस उम्र में बच्चों का स्क्रीन टाइम 1 से 2 घंटे तक सीमित रखा जा सकता है। हालांकि, यह समय शैक्षिक उद्देश्यों के लिए होना चाहिए, और बच्चों को डिजिटल डिवाइस का उपयोग पढ़ाई और अन्य कार्यों में मदद के लिए ही करना चाहिए।
- 12 से 18 साल के किशोरों के लिए: किशोरों के लिए स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। इस उम्र में भी डिजिटल डिवाइस का उपयोग केवल अध्ययन या उत्पादक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन गतिविधियाँ मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं, इसलिए इस पर नियंत्रण जरूरी है।
अत्यधिक स्क्रीन टाइम का प्रभाव
बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों में शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएँ जैसे मोटापा, आंखों की समस्या और नींद में कमी हो सकती है। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है, जिससे बच्चे चिड़चिड़े, मानसिक दबाव और अवसाद का शिकार हो सकते हैं।
इसलिए, बच्चों के स्क्रीन टाइम पर निगरानी रखना बेहद जरूरी है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों में भी शामिल हों और डिजिटल दुनिया से अधिक संपर्क में आने से बचें। IAP की इन गाइडलाइंस का पालन करके बच्चों के मानसिक और Physical Health को बेहतर बनाया जा सकता है।