एप्पल बेर की फसल में Powdery Mildew Disease की पहचान और रोकथाम के उपाय
एप्पल बेर की फसल में Powdery Mildew Disease एक आम समस्या बनती जा रही है, जो सफेद पाउडर की तरह नए फूलों और सेट हो रहे फलों पर दिखती है। इस रोग का असर नई पत्तियों पर भी साफ नज़र आता है, जहाँ सफेद पाउडर जैसी परत जमने लगती है। धीरे-धीरे यह पत्तियों को सिकुड़ने और गिरने पर मजबूर कर देती है।
भारत में बेर की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें Apple Ber (एप्पल बेर) भी शामिल है, जिसे अक्सर चाइनीज सेब के नाम से भी जाना जाता है। यह फल हल्के हरे रंग का होता है जो पकने के बाद ब्राउन हो जाता है और इसमें काँटे भी होते हैं। एप्पल बेर की खेती में रोगों का सही समय पर प्रबंधन न किया जाए तो फसल उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है।
एप्पल बेर के पौधों में कम कैलोरी और अधिक ऊर्जा पाई जाती है, जिससे इसकी मार्केट में डिमांड भी अच्छी रहती है। कई रोगों के इलाज में इसे खाने की सलाह भी दी जाती है, जिससे इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं।
पाउडरी मिल्डयू रोग के लक्षण
Powdery Mildew Disease में एप्पल बेर के फूलों और छोटे फलों पर सफेद पाउडर जैसी परत बन जाती है। यह पत्तियों और फलों की सतह पर भी फैलने लगती है। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, फलों पर गहरे भूरे धब्बे बनते हैं और फलों की सतह खुरदरी हो जाती है। रोग से ग्रसित फल जल्दी गिर जाते हैं या फटे और अविकसित रह जाते हैं। अगर समय पर इसका प्रबंधन नहीं किया गया तो पूरी फसल पर इसका असर पड़ सकता है।
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पाउडरी मिल्डयू रोग का प्रबंधन कैसे करें
यह रोग अक्सर बारिश के बाद अक्टूबर-नवंबर के बीच फैलता है, इसलिए Prevention जरूरी है। इस रोग से बचने के लिए 1 मिली केराथेन फफूंद नाशक दवा को 1 लीटर पानी में मिलाकर या 1 लीटर पानी में 2 ग्राम गंधक मिलाकर 15 दिन के अंतराल में फसल पर छिड़काव करें। इस उपाय से पाउडरी मिल्डयू रोग पर काबू पाया जा सकता है और फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।