खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 में मारा गया बताया जाने वाला हमजा बिन लादेन, ओसामा बिन लादेन का बेटा, जिंदा है और उसने अल-कायदा की कमान संभाल ली है। वह पश्चिमी देशों पर हमलों की योजना बना रहा है और अफगानिस्तान में नए आतंकी ट्रेनिंग कैंप भी स्थापित कर रहा है। “क्राउन प्रिंस ऑफ टेरर” के रूप में कुख्यात हमजा अल-कायदा को फिर से संगठित करने में जुटा हुआ है। यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अलकायदा ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के खिलाफ हमलों की योजना बना रहा है। हमजा बिन लादेन के नेतृत्व ने आतंकी समूह को मजबूत किया है और वह नए लड़ाकों को तैयार कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हमजा की मौजूदगी ने तालिबान और अलकायदा के संबंधों को और गहरा कर दिया है। इसके अलावा, हमजा का भाई अब्दुल्ला बिन लादेन भी अलकायदा के संचालन में शामिल बताया जा रहा है, जिससे संगठन की ताकत और बढ़ गई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हमजा बिन लादेन और उसकी चार पत्नियों ने कई सालों तक CIA से बचने के लिए ईरान में शरण ली थी। 2019 में उसकी मौत का दावा किया गया था, लेकिन डीएनए सबूत नहीं मिले थे। ताजा खुफिया जानकारी के मुताबिक, अलकायदा ईरान से अपने सदस्यों की आवाजाही के लिए अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में सुरक्षित घरों का इस्तेमाल कर रहा है। इससे संगठन की गतिविधियां फिर से बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमजा बिन लादेन का जीवित रहना और अलकायदा में उसका उभार, संगठन के लिए इराक युद्ध के बाद की सबसे बड़ी शक्ति वापसी हो सकती है। इससे पश्चिमी देशों में एक नई आतंकी हमलों की लहर की आशंका बढ़ गई है। 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत और 2022 में अल-जवाहिरी की हत्या के बाद अलकायदा की गतिविधियां कम हो गई थीं, लेकिन तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद अलकायदा फिर से अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
तालिबान ने अमेरिका के साथ डील में आतंकी समूहों से संबंध खत्म करने का वादा किया था, लेकिन अलकायदा को अफगानिस्तान में फिर से स्थापित करने की अनुमति देकर उसने दिखा दिया है कि आतंकवाद से उसका रिश्ता अब भी बना हुआ है। इससे क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और जटिल हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगानिस्तान में 21 से अधिक आतंकवादी नेटवर्क सक्रिय हैं। अलकायदा के ट्रेनिंग कैंप उन्हीं इलाकों में बनाए जा रहे हैं, जहां पहले पश्चिमी सेनाओं ने लड़ाई की थी। इन शिविरों की उपस्थिति अलकायदा की बढ़ती ताकत का संकेत देती है, जिससे एक और 9/11 जैसे हमले की आशंका बढ़ गई है।