भारत के मुख्य न्यायाधीश DY Chandrachud का सफर: संघर्ष से सर्वोच्च न्यायालय तक
जन्म और प्रारंभिक जीवन: Judicial Legacy का आधार
भारत के चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) का जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। न्यायिक परिवार में जन्मे चंद्रचूड़ ने छोटी उम्र से ही discipline और dedication सीखा। उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे, इसलिए उन्हें न्यायिक सेवा का महत्त्व और जिम्मेदारियों का एहसास बचपन से ही हो गया था।
मुंबई में शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद, चंद्रचूड़ ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से Economics में स्नातक किया और फिर Delhi University के Law Faculty में शामिल हुए। इसके बाद, उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से मास्टर्स और Ph.D. हासिल की, जिससे उनका कानूनी ज्ञान international standards तक विस्तृत हुआ।
कानूनी करियर की शुरुआत: Determination और Hard Work
कानून के क्षेत्र में चंद्रचूड़ की शुरुआत बतौर वकील हुई, जहाँ उन्होंने अपनी तर्कशक्ति और कानूनी समझ के दम पर कई cases जीते। जल्द ही उन्हें Supreme Court और High Court में सीनियर एडवोकेट के रूप में पहचान मिली।
29 मार्च 2000 को, उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। यहाँ उन्होंने Women’s Rights, Citizen’s Rights और Poor Rights जैसे विषयों पर कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। उनके सभी decisions समाज में बदलाव लाने के उद्देश्य से होते थे, जिससे उनकी ख्याति न्यायालय में तेजी से बढ़ी।
सर्वोच्च न्यायालय का सफर: Milestone Decisions की शुरुआत
13 मई 2016 को, धनंजय चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इस journey में उन्होंने कई important judgments दिए, जिनमें आधार योजना, LGBTQ Rights, Women Empowerment, और Economically Weaker Sections (EWS) आरक्षण शामिल हैं।
2022 में, उन्हें भारत के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल में कई judicial reforms हुए और उन्होंने कई landmark decisions दिए।
महत्वपूर्ण फैसले: Social Justice और Equality की दिशा में कदम
Chief Justice of India (मुख्य न्यायाधीश) चंद्रचूड़ ने अपने tenure के दौरान कुछ अहम फैसले दिए, जिनसे समाज में बदलाव आया। इन फैसलों में शामिल हैं:
- आधार योजना – उन्होंने आधार कार्ड की कानूनी वैधता को लेकर फैसला दिया और इसको government schemes में सीमित रखा, ताकि data privacy सुरक्षित रहे।
- अनुच्छेद 377 – LGBTQ+ community के rights का समर्थन करते हुए, उन्होंने इसे संविधान के Equality के अधिकार से जोड़ा और समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
- सवर्ण आरक्षण – आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण के पक्ष में उनका फैसला Society में Equality का संतुलन स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण था।
- महिला अधिकार – भारतीय सेना में महिलाओं के लिए Permanent Commission का फैसला लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम था, जिससे Women Empowerment को नई दिशा मिली।
- धार्मिक स्वतंत्रता – सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उन्होंने सभी religions में Equality के अधिकार का समर्थन किया, जिससे एक नई Social Debate शुरू हुई।
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न्यायपालिका में सुधार: Reforms के लिए कदम
DY Chandrachud के कार्यकाल में भारतीय न्यायपालिका में कई सुधार हुए। उन्होंने तकनीकी सुधारों, ई-कोर्ट की स्थापना और न्यायिक transparency पर जोर दिया। Constitution की मूल भावना को बनाए रखते हुए उन्होंने Judiciary की Independence पर खास जोर दिया, जिससे जनता का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ा।
व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा: Simplicity और Sensitivity का मेल
चंद्रचूड़ निजी जीवन में एक सरल और संवेदनशील व्यक्ति हैं। वे पढ़ने के शौकीन हैं और अपने speeches में साहित्यिक उद्धरणों का प्रयोग करते हैं। उनका अधिकतर समय न्यायपालिका और न्याय की सेवा में बीता है।
सेवानिवृत्ति और भविष्य की संभावनाएं: Judicial Contribution की उम्मीद
CJI DY Chandrachud का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका और समाज के लिए प्रेरणादायक रहेगा। उनके सेवानिवृत्ति के बाद भी उनके judicial experiences और contributions जारी रह सकते हैं। उनके decisions, उनकी सोच और न्यायप्रियता भारतीय न्याय व्यवस्था में एक मजबूत आधार की तरह बनी रहेगी।