बिबेक देबरॉय का निधन: एक विद्वान की अंतिम विदाई, नीति-निर्माण में छोड़ी अमिट छाप
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और विद्वान बिबेक देबरॉय के निधन से भारत ने एक महान नीतिकार, लेखक और मार्गदर्शक खो दिया है। देबरॉय का 1 नवंबर को देहांत हो गया, जिसके साथ ही उनके अद्वितीय योगदान की एक लंबी यात्रा का समापन हो गया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) में उनकी सेवाएँ भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को व्यापक रूप से प्रभावित करती रहीं। उनकी असामान्य विद्वता और गहरी समझ अर्थशास्त्र से लेकर संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद तक फैली हुई थी, जिसने उन्हें एक बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया।
कॉफी ब्रेक्स पर चर्चा और विद्वता का अनोखा संगम
संजय सान्याल, देबरॉय के निकट सहयोगी और मित्र, ने उनके साथ बिताए उन क्षणों का जिक्र किया जब वे रोज़ाना 11:15 बजे देबरॉय के कार्यालय में कॉफी ब्रेक के दौरान मिलते थे। इन बैठकों में अंतरराष्ट्रीय राजनीति, आर्थिक सुधारों, प्राचीन इतिहास, वेदों और वैदिक ग्रंथों पर खुलकर चर्चा होती थी। बिबेक देबरॉय का ज्ञान अद्भुत था – वे किसी भी विषय पर गहरी समझ रखते थे और उनकी याददाश्त में पुरानी नीतियों, कानूनों और ऐतिहासिक घटनाओं की विस्तृत जानकारी थी।
असाधारण याददाश्त और गहन समझ
देबरॉय की अद्वितीय याददाश्त और बारीकी से विश्लेषण करने की क्षमता ने उन्हें दूसरों से अलग बनाया। वे किसी पुराने नियमन की उप-धारा, या वर्षों पहले किसी बैठक की तारीख का उल्लेख कर सकते थे। यही कारण था कि वे अपने साथियों और अन्य विशेषज्ञों के लिए एक सजीव संदर्भ स्रोत थे। उनकी हर बातचीत में उनके गहरे ज्ञान का प्रभाव झलकता था।
स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ, पर नहीं रुका जज़्बा
2024 का वर्ष देबरॉय के लिए शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहा। उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, लेकिन उनका जज़्बा बरकरार रहा। ICU में भी, वे अपने शोध और लेखों पर काम करते रहे और अपनी टीम को मार्गदर्शन देते रहे। उन्होंने वर्चुअल माध्यम से साक्षात्कार भी लिए और अपने आखिरी दिनों तक सक्रिय बने रहे।
एक स्थायी विरासत छोड़ गए बिबेक देबरॉय
बिबेक देबरॉय की मृत्यु से भारत ने एक अमूल्य नीतिकार और संस्कृत विद्वान को खो दिया है। उनकी विद्वता, दूरदर्शिता, और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम ने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया है। भारतीय नीति और संस्कृति में उनका योगदान हमेशा एक मार्गदर्शक के रूप में रहेगा, जिससे उनकी स्मृतियाँ जीवित रहेंगी।