Kangana Ranaut का बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया: कृषि कानूनों पर नया विवाद
हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस और मंडी से सांसद Kangana Ranaut एक बार फिर अपने बयान के कारण चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर ऐसा बयान दिया, जिससे भाजपा ने उनकी कड़ी आलोचना की। कंगना ने कहा कि उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए तीनों कृषि कानूनों को फिर से लागू किया जाना चाहिए। इस बयान के बाद भाजपा ने तुरंत उनकी आलोचना करते हुए साफ किया कि यह कंगना के निजी विचार हैं, और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
कंगना का कृषि कानूनों पर बयान क्या था?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जिन तीन कृषि कानूनों को सरकार ने किसानों के विरोध के बाद रद्द कर दिया था, उन्हें वापस लाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि मेरा यह बयान विवाद को जन्म दे सकता है, लेकिन मैं मानती हूं कि ये कानून किसानों के हित में थे। किसानों को खुद इन कानूनों की वापसी की मांग करनी चाहिए।”
कंगना ने अपने तर्क में यह भी कहा कि ये कानून किसानों के फायदे के लिए बनाए गए थे, लेकिन कुछ राज्यों में हुए विरोध और किसानों के बड़े आंदोलन के चलते इन्हें वापस ले लिया गया। उन्होंने आगे कहा, “किसान इस देश की प्रगति की रीढ़ हैं। मेरा मानना है कि इन कानूनों को उनके भले के लिए फिर से लागू किया जाना चाहिए, और किसानों को इस पर विचार करना चाहिए।”
भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
कंगना के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। भाजपा के प्रवक्ता Gaurav Bhatia ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि कंगना द्वारा दी गई टिप्पणी पार्टी की विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करती, बल्कि यह उनका व्यक्तिगत बयान है। उन्होंने कहा, “हम कंगना रनौत के इस बयान की निंदा करते हैं और यह पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है।”
भाजपा ने यह स्पष्ट किया कि पार्टी का कृषि कानूनों के मुद्दे पर अपना स्पष्ट दृष्टिकोण है और कंगना के विचार पार्टी के नीतिगत विचारों से मेल नहीं खाते।
कंगना की सफाई
भाजपा की तीखी आलोचना के बाद, कंगना ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि जो कुछ उन्होंने कहा, वह उनके निजी विचार थे, और इसका भाजपा या किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मेरी यह टिप्पणी पूरी तरह से व्यक्तिगत थी और इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं एक नागरिक के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही थी।”
यह पहली बार नहीं है जब कंगना के बयानों पर विवाद हुआ हो। इससे पहले भी, किसान आंदोलन के दौरान कंगना ने एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि “महिलाएं किसान आंदोलन में रेप की शिकार हो रही हैं।” उस समय भी भाजपा ने कंगना की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और उन्हें कड़ी हिदायत दी थी कि वे इस तरह के बयानों से दूर रहें।
भाजपा और कंगना के संबंध
कंगना रनौत अपने बेबाक और विवादित बयानों के लिए जानी जाती हैं, और कई बार उनके बयान भाजपा के आधिकारिक रुख से मेल नहीं खाते। हालांकि कंगना कई मौकों पर भाजपा के समर्थन में खुलकर सामने आई हैं, लेकिन उनके बयान पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर देते हैं।
भाजपा ने कई बार कंगना को उनके बयानों पर फटकार भी लगाई है, खासकर जब उनके बयान पार्टी की नीतियों के खिलाफ जाते हैं। लेकिन फिर भी, कंगना का राजनीतिक समर्थन भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि वे अपने प्रशंसकों और समर्थकों के बीच लोकप्रिय हैं।
कृषि कानूनों की पृष्ठभूमि
साल 2020 में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों का उद्देश्य किसानों को मंडी व्यवस्था से मुक्त करना और कृषि बाजार को उदार बनाना था। इन कानूनों को लेकर कई राज्यों में किसानों ने विरोध किया था। उनका मानना था कि यह कानून बड़े कॉर्पोरेट्स के फायदे के लिए बनाए गए थे और इससे उन्हें नुकसान होगा।
किसानों के बड़े आंदोलन और दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक चले प्रदर्शन के बाद, केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को रद्द करने का फैसला किया था। किसानों ने इसे अपनी बड़ी जीत के रूप में देखा था।
कंगना का बयान क्यों अहम है?
कंगना का यह बयान ऐसे समय में आया है जब किसान संगठनों और सरकार के बीच हालात नाजुक बने हुए हैं। किसानों के मुद्दों पर दी गई कंगना की राय ने पार्टी के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। भाजपा ने यह स्पष्ट किया कि कंगना के विचार पार्टी के आधिकारिक विचारों का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके बयान ने राजनीतिक चर्चा को और गरम कर दिया है।
कंगना के इस बयान से एक बार फिर यह साबित हुआ है कि वह राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने से पीछे नहीं हटतीं। हालांकि वह भाजपा का समर्थन कई बार कर चुकी हैं, लेकिन उनकी राय हमेशा पार्टी की नीतियों के साथ मेल नहीं खाती।
भविष्य में क्या?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद के बाद भाजपा और कंगना के संबंध कैसे आगे बढ़ते हैं। कंगना का राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बयान देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर बार उनके बयान चर्चा का कारण बन जाते हैं।
कुल मिलाकर, कंगना के इस बयान ने एक बार फिर राजनीति और फिल्मी दुनिया के बीच की सीमाओं को धुंधला कर दिया है। अब यह देखना बाकी है कि भाजपा इस पर आगे क्या कदम उठाएगी और कंगना अपने बयानों को लेकर क्या रुख अपनाती हैं।