मंडलों में भाजपा कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर विरोध उठना शुरू हो गया है । इनमे धनपुरी, शहडोल व बकहो मंडल शामिल है ।सबसे इन तीनो मंडलों में कहीं पर भाजपा से बागी होकर नगरीय निकाय चुनाव लड़ने वाले पूर्व में पार्टी से निष्काषित व्यक्ति को मंडल अध्यक्ष बना दिया गया तो कहीं भाजपा के विरोध में विधान सभा चुनाव में प्रचार करने वाले व 45 वर्ष की आयु से ऊपर वाले व्यक्ति को पार्टी गाइड लाइन से परे जाकर मंडल अध्यक्ष की कमान सौंप दी गयी । वही एक भाजयुमो पदाधिकारी को दोहरा पद दे दिया गया । इसके अलावा जातीय समीकरण को लेकर यह बात सामने आई है कि जिले की घोषित मंडल अध्यक्ष की सूची में अनुसूचित जाति (एससी ) वर्ग की उपेक्षा की गयी है ।
सर्वप्रथम अगर भाजपा मंडल धनपुरी के घोषित मंडल अध्यक्ष भोला पनिका की बात की जाए तो उन्हें पार्टी प्रत्यासी के विरोध में नगरीय निकाय चुनाव लड़ने के कारण वर्ष 2022 में पार्टी से छः वर्ष के लिए निष्काषित कर दिया गया था । क्योंकी भोला पनिका के निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से भारतीय जनता पार्टी से अधिकृत वार्ड नम्बर 12 धनपुरी से पार्षद प्रत्यासी रोशन पनिका को हार का सामना करना पड़ा था । लेकिन धनपुरी मंडल अध्यक्ष भोला पनिका की भारतीय जनता पार्टी में कब अधिकृत तौर पर वापसी हुई इस बात से धनपुरी मंडल के कई भाजपाई अब भी अनजान है । अब चर्चा है कि अन्य सक्रीय पार्टी कार्यकर्ताओं एवं दावेदारों के बीच एक पूर्व में निष्काषित व पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को किस आधार पर मंडल अध्यक्ष घोषित कर दिया गया ।
जिस समय पार्टी से बगावत कर वर्तमान घोषित मंडल अध्यक्ष भोला पनिका चुनावी मैदान में उतरे थे उस वक्त पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों द्वारा उन्हें समझाइश देते हुए अपना नाम निर्दलीय पार्षद प्रत्यासी से वापस लेकर भाजपा प्रत्यासी के पक्ष में साथ देने की बातें कही गयी थी । लेकिन पार्टी के सभी वरिष्ठों की बातों को नजर अंदाज कर भोला पनिका चुनावी मैदान में जमे रहे । जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें वर्ष 2022 में भारतीय जनता पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्काषित कर दिया गया था ।
बकहो में भी विरोध ,आयु को लेकर भी चर्चा
धनपुरी के बाद नवगठित मंडल बकहो में भी जिस धर्मेन्द्र दुबे को मंडल अध्यक्ष घोषित किया गया है ,उन्हें लेकर भी स्थानीय भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर विरोध शुरू है । एक और जहां श्री दुबे के बारे में चर्चा है कि वह सर्व प्रथम पार्टी के सक्रीय सदस्य ही अब तक नहीं है । वहीँ वह ओरियंट पेपर मिल के स्थाई कर्मचारी भी हैं । साथ ही श्री दुबे पर बकहो नगर परिषद एवं विधान सभा चुनाव् के दौरान पार्टी के विरोध में प्रचार करने का भी आरोप लगाया जा रहा है । इन सबसे अधिक जिस बात का विरोध हो रहा है ,वह उनकी आयु को लेकर है । क्योंकी पार्टी गाइड लाइन के अनुसार मंडल अध्यक्ष बनने की अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष तय कर दी गयी थी । ऐसे में श्री दुबे के दस्तावेजों में उनकी जन्मतिथि 7 दिसम्बर 1979 के अनुसार मंडल अध्यक्ष घोषित होने की तिथि से पहले ही 46 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके थे । साथ ही यह बात भी सामने आ रही है कि पैनल में जो तीन नाम थे उसमे श्री दुबे का नाम ही नहीं था । ऐसे में चौथे स्थान वाले दावेदार को किस आधार पर मंडल अध्यक्ष पार्टी गाइड लाइन से हटकर बना दिया गया । बहरहाल यह सारे आरोप अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्त्व तक भेजकर विरोध दर्ज कराए जाने की बात सामने आई है ।
भाजयुमो जिलाध्यक्ष के साथ मंडल की कमान
धनपुरी व बकहो मंडल के बाद शहडोल नगर के मंडल अध्यक्ष को लेकर भी विरोध के स्वर सामने आ रहें है । पार्टी के नेता ही कह रहें हैं कि कल जारी मंडल अध्यक्ष की सूची में शहडोल मंडल अध्यक्ष की कमान प्रियम त्रिपाठी को सौंपी गयी है । जबकि वह वर्तमान समय भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के पद है ,अभी करीब आठ माह का कार्यकाल उनका बचा हुआ है । ऐसे में में पार्टी के अन्य दावेदारों व् निष्ठावान कार्यकर्ताओं के होते हुए भाजयुमो जिलाध्यक्ष प्रियम त्रिपाठी को किस आधार पर मंडल अध्यक्ष बनाकर उन्हें दोहरे पद से नवाज़ा गया है ।
बहरहाल इस विरोध को पार्टी का शीर्ष नेतृत्त्व कितना गंभीरता के साथ लेता है ,या फिर अनुशासन का पाठ पढ़ाकर इस विरोध को शांत करा दिया जाएगा ,यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा । फिलहाल तो पार्टी के अंदर इन मंडलों में विरोध के स्वर अंदर ही अंदर फूटना शुरू हो गये हैं ।