जयदेव ने भारत के लिए अपना आखिरी टेस्ट मैच जुलाई में पोर्ट-ऑफ-स्पेन में विंडीज के खिलाफ खेला था, लेकिन एक साल बाद उन्हें दलीप ट्रॉफी की चार टीमों में से किसी में भी जगह नहीं दी गई।
सिर्फ जयदेव ही नहीं, बल्कि पृथ्वी शॉ, आईपीएल स्टार रिंकू सिंह और अभिषेक शर्मा जैसे खिलाड़ियों को भी इस बार टीम में जगह नहीं मिली है। यह निर्णय इस ओर संकेत करता है कि दलीप ट्रॉफी टीम के चयन के मानक अब और सख्त हो गए हैं। पहले जहां पांच क्षेत्रीय टीमें होती थीं, अब उनकी संख्या घटकर चार रह गई है, जिससे खिलाड़ियों पर रणजी मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ गया है।
हालिया बदलावों के बाद, राष्ट्रीय चयन समिति ने घरेलू क्रिकेटरों को स्पष्ट संदेश दिया है, हालांकि कुछ फैसलों पर सवाल भी उठे हैं। टीम इंडिया अगले महीने बांग्लादेश के खिलाफ खेलने की तैयारी कर रही है।
हाल ही में भारतीय क्रिकेट में एक नई परंपरा की शुरुआत हुई, जब राष्ट्रीय चयन समिति ने क्षेत्रीय दलीप ट्रॉफी टूर्नामेंट के लिए लगभग 60 खिलाड़ियों का चयन किया। पिछले साल तक इस टूर्नामेंट के लिए क्षेत्रीय चयनकर्ता पांच क्षेत्रों की टीम का चयन करते थे, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया बदल गई है, जिससे कुछ फैसले विवादों में आ गए हैं। ऐसा लग रहा है कि कुछ खिलाड़ियों के साथ अन्याय हुआ है, और इन्हीं में से एक हैं लेफ्ट आर्म पेसर जयदेव उनाडकट।
हालांकि जयदेव उनाडकट इस अनदेखी से हार मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने इंग्लिश काउंटी ससेक्स का रुख किया है और उम्मीद है कि काउंटी क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित कर पाएंगे। बावजूद इसके कि पिछले कुछ सीजनों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, वह चयनकर्ताओं का पूरा भरोसा नहीं जीत सके हैं। अगर उन्हें भारतीय टीम में मौका मिला भी, तो वह बेंच पर ही बैठे रहे। यही कारण है कि 2010 में टेस्ट करियर की शुरुआत करने के बावजूद, जयदेव पिछले 13 सालों में केवल चार टेस्ट ही खेल सके हैं, जिसमें उन्होंने सिर्फ तीन विकेट लिए हैं।