मानसून में क्यों बढ़ता है बीमारियों का खतरा? जानिए कैसे रहें सुरक्षित
मानसून जहां एक तरफ मौसम को खुशनुमा बना देता है, वहीं दूसरी ओर यह कई तरह की बीमारियों और संक्रमणों की आशंका को भी बढ़ा देता है। लोग अक्सर मानते हैं कि इस मौसम में सिर्फ डेंगू, मलेरिया या स्किन इन्फेक्शन का खतरा होता है, लेकिन सच्चाई ये है कि मानसून में अस्थमा, सर्दी-जुकाम और मानसिक तनाव जैसी गंभीर समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। आइए जानते हैं कि क्यों बढ़ता है इन बीमारियों का खतरा और क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
बारिश में अस्थमा का खतरा क्यों बढ़ता है?
मानसून में वातावरण में नमी काफी बढ़ जाती है। जब नमी का स्तर 50% से ज्यादा हो जाता है, तो इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। इससे फेफड़ों की नलियां सूज जाती हैं, जिससे अस्थमा अटैक होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
इस मौसम में हवा में मौजूद परागकण (pollen) और फंगल एलर्जी भी अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे में जिन लोगों को सांस संबंधी एलर्जी होती है, उन्हें विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है मौसम
बारिश के दिनों में धूप कम निकलती है, जिससे शरीर में विटामिन D का स्तर घट सकता है। इसका असर मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। कई बार अत्यधिक नमी और बंद वातावरण से घुटन, चिड़चिड़ापन, तनाव और एंग्जायटी जैसी समस्याएं भी सामने आने लगती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसिक तनाव भी अस्थमा जैसे रोगों को और गंभीर बना सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून में अस्थमा और सांस संबंधी समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जब नमी 30 से 50 प्रतिशत के बीच होती है, तो फेफड़े सामान्य रूप से कार्य करते हैं। लेकिन इससे ऊपर जाने पर समस्या बढ़ जाती है।
साथ ही, मानसून में पेड़-पौधों से परागकण हवा में फैलते हैं, जो सांस के रास्ते शरीर में चले जाते हैं और एलर्जी का कारण बनते हैं। यही कारण है कि इस मौसम में अस्थमा के मरीजों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कैसे करें बचाव?
- कोशिश करें कि बारिश में भीगने से बचें।
- धूल-मिट्टी, कीचड़ और गंदगी वाली जगहों से दूरी बनाएं।
- गर्म पानी पीएं और नहाने के लिए भी गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
- घर के अंदर का तापमान न ज्यादा ठंडा रखें और न बहुत गर्म।
- अगर सर्दी-जुकाम हो जाए तो नियमित भाप लें।
निष्कर्ष
मानसून में सिर्फ मच्छरों से ही नहीं, हवा में मौजूद अदृश्य कणों से भी खतरा होता है। ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, डॉक्टर की सलाह पर ध्यान दें और इस खुशनुमा मौसम का आनंद बीमारियों से दूर रहकर लें।