अमेरिका-चीन का टकराव बना दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा: मैक्रों
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता विभाजन मौजूदा समय में पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फ्रांस अमेरिका का मित्र और सहयोगी है, लेकिन साथ ही चीन के साथ भी उसका सहयोग और मित्रता बनी हुई है।
फ्रांस चीन से असहमति के बावजूद सहयोगी
राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि हालांकि कई बार चीन से उनकी असहमति होती है और कुछ मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा भी होती है, फिर भी दोनों देशों के बीच सहयोग बना हुआ है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज का दौर ऐसा है जिसमें केवल गुटों में बंटना समाधान नहीं है, बल्कि साझा प्रयासों की ज़रूरत है।
शांगरी-ला डायलॉग में दिया संबोधन
यह बयान मैक्रों ने सिंगापुर में आयोजित एक अहम सुरक्षा सम्मेलन के पहले दिन दिया। इस सम्मेलन में दुनिया के 47 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं, जिनमें 40 मंत्री स्तर के प्रतिनिधि हैं। सम्मेलन का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, सहयोग और स्थिरता को मजबूत करना है।
एशिया और यूरोप को एक साथ आने की अपील
राष्ट्रपति मैक्रों ने एशिया और यूरोप के बीच मिलकर काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए इन दोनों क्षेत्रों का साझा हित है। अब वक्त आ गया है कि जो देश सहयोग करने में सक्षम हैं, वे मिलकर नए गठबंधन बनाएं और वैश्विक व्यवस्था को सुरक्षित करें।
अमेरिका के टैरिफ नीति पर चिंता
मैक्रों ने अमेरिका की टैरिफ नीतियों को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि फ्रांस और यूरोपीय संघ अब एशिया के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और अधिक मजबूत करना चाहते हैं ताकि भविष्य में किसी एक देश की नीतियों से वैश्विक व्यापार पर प्रभाव न पड़े।
यूक्रेन को लेकर चेतावनी
अपने संबोधन में मैक्रों ने अमेरिका और हिंद-प्रशांत देशों को यह भी चेताया कि अगर वे यूक्रेन को अकेला छोड़कर केवल चीन के साथ संभावित संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो यह दोहरे मानकों जैसा होगा। इससे अमेरिका की वैश्विक साख पर भी असर पड़ सकता है।
ताइवान पर संकट और अमेरिका की विश्वसनीयता
राष्ट्रपति मैक्रों ने यह भी कहा कि अगर यूक्रेन को नजरअंदाज किया गया, तो ताइवान को लेकर चीन से संभावित टकराव के समय अमेरिका की विश्वसनीयता सवालों में आ जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि सभी महाशक्तियाँ समान रूप से अपने दायित्व निभाएं।
सैनिकों की तैनाती को लेकर चर्चा
मैक्रों की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब अमेरिका अपने सैनिकों को यूरोप से हटाकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात करने पर विचार कर रहा है। इससे साफ है कि वैश्विक राजनीति एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है, और फ्रांस इसमें संतुलन बनाए रखने की भूमिका निभाना चाहता है।