ट्रंप की सख्ती से बढ़ा अमेरिका-चीन तनाव
व्यापारिक रिश्तों में नया मोड़
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और गहरा गया है। ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ कई सख्त फैसले लिए हैं, जिनमें टैरिफ बढ़ाना, नए कानून प्रस्तावित करना और चीनी निवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है।
ट्रेड डील के बावजूद व्यापार घाटा बढ़ा
2020 में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील हुई थी, लेकिन 2024 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 295.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023 के मुकाबले 5.8% अधिक है।
आयात शुल्क और व्यापार नियमों में सख्ती
ट्रंप ने वाहनों, सेमीकंडक्टर और फार्मा सेक्टर में आयात शुल्क बढ़ाने का संकेत दिया है। साथ ही, अमेरिका में कम कीमत वाले पैकेजों पर मिलने वाली ड्यूटी फ्री छूट को सीमित करने के लिए नया कानून प्रस्तावित किया गया है।
चीन की लॉजिस्टिक्स व्यवस्था पर हमला
अमेरिका ने चीन की शिपिंग कंपनियों पर कड़ा प्रहार किया है। नए प्रस्ताव के तहत, चीन में बने जहाजों को अमेरिकी बंदरगाहों पर रुकने के लिए 15 लाख डॉलर तक की फीस देनी होगी। इससे चीन की प्रमुख शिपिंग कंपनी Cosco की सप्लाई चेन प्रभावित होगी।
चीन में निवेश पर नए प्रतिबंध
ट्रंप प्रशासन ने चीन में अमेरिकी निवेश को सीमित करने का फैसला किया है। खासतौर पर एयरोस्पेस, क्वांटम, बायोटेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर और AI सेक्टर में चीन को मिलने वाले फंड पर रोक लगाई जाएगी।
क्वॉड देशों के साथ अमेरिका की रणनीति
अमेरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर जोर दिया है। ट्रंप प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए क्वॉड की अहमियत को बढ़ा रहा है।
ताइवान को लेकर अमेरिका का बदला रुख
अमेरिका ने ताइवान को अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल करने का समर्थन किया है। इसके अलावा, आधिकारिक वेबसाइट से वह बयान हटा दिया गया है, जिसमें अमेरिका ने ताइवान की आजादी का विरोध किया था।
भारत के लिए नए अवसर और चुनौतियां
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के लिए नए अवसर और चुनौतियां सामने आ रही हैं। अमेरिकी सीनेट में एक कानून प्रस्तावित किया गया है, जिससे भारत अमेरिका के खास रक्षा साझेदारों में शामिल हो सकता है।
ट्रंप की रणनीति के पीछे का रहस्य
ट्रंप का चीन पर यह आक्रामक रुख केवल व्यापार तक सीमित नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप इसे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ किसी बड़े समझौते के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। खबरों के अनुसार, जून 2025 में ट्रंप और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर होगी।