खबर: ट्रंप की नीतियों से खतरे में पड़ सकती है भारत-अमेरिका की 25 साल पुरानी रणनीतिक साझेदारी
नई दिल्ली। एक डेमोक्रेट सांसद और कई पूर्व अमेरिकी राजनयिकों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति व कूटनीतिक फैसलों को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि इन नीतियों से अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी, जिसे पिछले 25 वर्षों में धीरे-धीरे सुदृढ़ किया गया था, अब खतरे में पड़ सकती है। सांसदों के इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रो खन्ना ने एक आपात बैठक बुलाकर इस स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डाला।
इस सम्मेलन में भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा और एरिक गार्सेटी के साथ-साथ भारतीय मूल के वेंचर कैपिटलिस्ट विनोद खोसला और तकनीकी उद्योग से जुड़े अन्य प्रमुख लोग भी शामिल हुए। खन्ना ने कहा कि अगर परिस्थिति इतनी गंभीर नहीं होती तो वह इस तरह का सम्मेलन नहीं बुलाते। उनका उद्देश्य मौजूदा घटनाक्रम पर चेतावनी देना है।
“ट्रंप ने 25 वर्षों की प्रगति को खत्म कर दिया” – रिचर्ड वर्मा
बराक ओबामा के शासनकाल में भारत में अमेरिकी राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा ने कहा कि सिर्फ कुछ महीनों में राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले 24-25 वर्षों में की गई उपलब्धियों को क्षति पहुंचाई है। वर्मा ने याद दिलाया कि यह साझेदारी वर्ष 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की ऐतिहासिक भारत यात्रा के बाद शुरू हुई थी, जब अमेरिका ने अपनी भारत-पाकिस्तान नीति से हटकर भारत के साथ स्वतंत्र साझेदारी की दिशा अपनाई थी।
वर्मा ने ट्रंप के उस निर्णय पर भी आपत्ति जताई जिसमें अमेरिकी इतिहास में पहली बार पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष को ओवल ऑफिस बुलाया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम दोनों देशों के बीच विश्वास को कमजोर करते हैं। वर्मा के अनुसार पिछले कुछ महीनों ने साबित किया है कि अमेरिका पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता।
“सामरिक असहमतियों से आगे बढ़ चुका संकट” – एरिक गार्सेटी
हाल ही तक भारत में अमेरिकी राजदूत रहे एरिक गार्सेटी ने चेतावनी दी कि वर्तमान तनाव सिर्फ व्यापारिक असहमतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बुनियादी बदलाव का संकेत है जिसका असर भारत पर रातोंरात खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में यह सबसे बड़ा झटका है।
गार्सेटी ने बताया कि उन्होंने पहले भी भारत नीति पर द्विदलीय सहमति के साथ काम किया था, जब खन्ना और माइक वाल्ट्ज इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष थे। लेकिन आज वही नीति दबाव में है। उन्होंने तकनीकी और कारोबारी समुदाय से अपील की कि वे रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों पार्टियों के सांसदों से जुड़ें, ताकि साझेदारी की नींव मजबूत रहे।
“भारत-अमेरिका एक ही पथ पर” – गार्सेटी
गार्सेटी ने कहा कि भारत और अमेरिका एक ही राह पर हैं, इसी कारण मौजूदा तनाव दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के लिए बेहद चिंताजनक है। उन्होंने भारत और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के खिलाफ बढ़ती नकारात्मक बयानबाजी और नस्लवादी टिप्पणियों पर भी चिंता जताई।
रो खन्ना ने खासतौर पर रिपब्लिकन सांसदों पर संबंधों के रणनीतिक महत्व को समझाने के लिए दबाव बनाने और डेमोक्रेट्स से इंटरनेट मीडिया पर अधिक सक्रिय होने का आह्वान किया। उनका कहना था कि जब दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव और आपूर्ति श्रृंखला, ऊर्जा व तकनीकी सहयोग जैसी साझा चुनौतियों से जूझ रहे हैं, तब इस तरह के कूटनीतिक संकट संबंधों को कमजोर कर सकते हैं।
इस सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि 25 वर्षों में बनाई गई भारत-अमेरिका साझेदारी को बनाए रखने के लिए दोनों देशों और उनके नेताओं को संतुलित और दूरदर्शी कदम उठाने होंगे, ताकि दीर्घकालिक रणनीतिक हित सुरक्षित रह सकें।