‘Bulldozer Justice’ पर Supreme Court का बड़ा फैसला आज, देशव्यापी दिशानिर्देश जारी होने की संभावना
Supreme Court आज उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने वाला है, जिनमें आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती दी गई है। यह फैसला जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच द्वारा सुबह 10:30 बजे सुनाया जाएगा। मामले का निर्णय जस्टिस गवई द्वारा लिखा गया है। गौरतलब है कि इस मामले में 1 अक्टूबर को आदेश सुरक्षित रखे गए थे, और बेंच ने स्पष्ट किया था कि किसी भी आरोपी के घर को महज उसकी संलिप्तता के कारण तोड़ना अस्वीकार्य है।
‘बुलडोजर न्याय’ पर Supreme Court की सख्त टिप्पणियाँ
अपराधियों के घरों को गिराने की प्रथा पर टिप्पणी करते हुए, जिसे ‘ Bulldozer Justice’ कहा जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस पर देशव्यापी दिशानिर्देश जारी करने की ओर संकेत दिए। जमीयत उलेमा-ए-हिंद सहित कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और गुजरात में प्रशासन द्वारा बिना उचित प्रक्रिया के संपत्तियों को गिराया जा रहा है।
अनधिकृत विध्वंस पर रोक और दिशानिर्देशों का सुझाव
सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत निजी संपत्ति के विध्वंस पर रोक लगाई थी और इस पर प्रदर्शन व महिमामंडन को लेकर चेतावनी दी थी। बेंच ने कहा कि अवैध निर्माण को गिराने का अधिकार है, लेकिन अधिकारियों को इसे निर्णयात्मक रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, “देशव्यापी दिशानिर्देश आवश्यक हैं ताकि लोगों के अधिकारों का संरक्षण हो सके।”
‘कानून पर बुलडोजर’ चलाने पर कड़ी टिप्पणी
गुजरात के एक मामले में, जहां अधिकारियों ने एक आरोपी के घर को गिराने की धमकी दी थी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध में संलिप्तता संपत्ति विध्वंस का आधार नहीं हो सकता और इसे ‘देश के कानून पर बुलडोजर चलाने’ के रूप में देखा जा सकता है।
संपत्ति अधिकार का संरक्षण आवश्यक
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि “बुलडोजर न्याय कानून के शासन में अस्वीकार्य है। यदि इसे अनुमति दी जाए, तो संपत्ति के अधिकार का संवैधानिक संरक्षण व्यर्थ हो जाएगा।” दिशानिर्देशों में रिकॉर्ड और नक्शों की जांच, वास्तविक अतिक्रमणों की पहचान के लिए सर्वेक्षण, आरोपियों को नोटिस, और पर्याप्त समय देने जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं।