सुप्रीम कोर्ट में चुनौती : 2023 से पहले बनी गाड़ियों पर असर डाल रहा इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल
केंद्र सरकार की पेट्रोल में 20% इथेनॉल (E20) मिलाने की नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह नीति पुराने वाहनों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है और उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।
उपभोक्ता अधिकारों का हनन
याचिका में कहा गया है कि देश में अप्रैल 2023 से पहले बनी लाखों गाड़ियां E20 पेट्रोल के अनुकूल नहीं हैं। इसके बावजूद केवल इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल बेचा जा रहा है। इससे उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार नहीं मिल रहा कि वे किस तरह का ईंधन खरीद रहे हैं। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन माना गया है।
गाड़ियों के पुर्जों पर पड़ रहा है असर
E20 पेट्रोल के कारण वाहनों के माइलेज पर असर पड़ रहा है और उपभोक्ताओं को अधिक ईंधन खर्च करना पड़ रहा है। साथ ही, इथेनॉल की वजह से रबर, प्लास्टिक और धातु के हिस्सों में जंग लगने और खराब होने की समस्या सामने आ रही है। इससे न केवल गाड़ियों की उम्र घट रही है बल्कि मरम्मत का खर्च भी बढ़ रहा है। बीमा कंपनियां भी इन नुकसानों को कवर नहीं कर रही हैं, जिससे वाहन मालिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए चुनौती
याचिका में कहा गया है कि ऑटोमोबाइल निर्माताओं को E20 के अनुरूप वाहनों को डिजाइन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। अप्रैल 2023 से पहले बने कई वाहन, भले ही वे BS-VI मानकों के तहत क्यों न हों, E20 पेट्रोल के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। ऐसे में यह नीति उपभोक्ताओं और निर्माताओं दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है।
याचिकाकर्ता की मांगें
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कई राहतों की मांग की है—
- पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल (E0) की बिक्री शुरू की जाए।
- E20 पेट्रोल पर स्पष्ट लेबलिंग अनिवार्य की जाए।
- E20 के दीर्घकालिक प्रभावों पर वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाए।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण
याचिका में अमेरिका और यूरोपीय संघ का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि वहां उपभोक्ताओं को इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल का विकल्प उपलब्ध है और ईंधन पर स्पष्ट लेबलिंग होती है। भारत में उपभोक्ताओं को इस जानकारी से वंचित रखा जा रहा है, जो जागरूकता और सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि E20 पेट्रोल पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए लाभकारी है। इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता घटेगी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होगा और किसानों को इथेनॉल उत्पादन से अतिरिक्त आय मिलेगी। साथ ही, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) ने परीक्षणों में E20 को पुराने वाहनों के लिए सुरक्षित बताया है।
हालांकि, याचिकाकर्ता का तर्क है कि पर्यावरणीय लाभों के साथ उपभोक्ताओं के हितों और तकनीकी अनुकूलता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।