शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 1400 अंक लुढ़का , निवेशकों में हड़कंप!
शेयर बाजार में आज जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। बाजार की शुरुआत से ही बिकवाली का दौर जारी रहा, जो पूरे दिन बरकरार रहा। इसका मुख्य कारण 2 अप्रैल से लागू होने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ है। इस फैसले से निवेशकों में चिंता बढ़ गई, जिससे बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई।
सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट
नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली।
- सेंसेक्स: 1390.41 अंक गिरकर 76,024.51 पर बंद हुआ।
- निफ्टी: 353.65 अंक गिरकर 23,165.70 पर बंद हुआ।
इस गिरावट से पिछले कुछ दिनों में बाजार में आई बढ़त काफी हद तक समाप्त हो गई।
रेसिप्रोकल टैरिफ का असर, निवेशकों में घबराहट
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों पर टैरिफ लगाए थे, लेकिन अब वे सभी देशों पर समान टैरिफ लगाने जा रहे हैं। इससे व्यापार युद्ध (Trade War) की संभावना बढ़ गई है, जिसके कारण भारतीय बाजार में निवेशकों ने भारी बिकवाली की।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई परेशानी
इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी बाजार की गिरावट में योगदान दिया।
- ब्रेंट क्रूड ऑयल: 1.51% बढ़कर 74.74 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
भारत अपनी तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, और तेल महंगा होने से अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बढ़ा दबाव
शेयर बाजार में गिरावट की एक और वजह विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली है।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को 4,352.82 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
इससे बाजार में नकारात्मकता और बढ़ गई।
आगे क्या होगा?
शेयर बाजार की आगे की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि अमेरिका भारत पर कितनी सख्ती करता है।
- यदि निफ्टी 23,700-23,750 के स्तर को पार करता है, तो बाजार में तेजी आ सकती है।
- यदि निफ्टी इस स्तर को पार नहीं करता, तो यह 23,300 तक गिर सकता है।
यदि अमेरिका ने भारत के लिए अधिक सख्त टैरिफ नीति अपनाई, तो बाजार में और गिरावट संभव है।
निवेशकों के लिए क्या सलाह?
विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशकों को इस समय सतर्क रहना चाहिए।
✅ पैनिक में शेयर न बेचें।
✅ अति उत्साह में खरीदारी से बचें।
✅ टैरिफ का असर पूरी तरह समझने के बाद ही निवेश का फैसला लें।
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी संकेत दिए हैं कि टैरिफ लागू होने के बाद वे संबंधित देशों से बातचीत के लिए तैयार हैं। ऐसे में भारत के पास इसका प्रभाव कम करने का मौका हो सकता है। निवेशकों को जल्दबाजी में कोई बड़ा निर्णय लेने से बचना चाहिए।