अदम्य साहस और वीरता को सलाम: राष्ट्रपति ने दिए कीर्ति और शौर्य चक्र सम्मान
नई दिल्ली में आयोजित एक गरिमामयी समारोह के दौरान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के वीर जवानों के अद्भुत साहस और समर्पण को सम्मानित करते हुए 6 कीर्ति चक्र और 33 शौर्य चक्र प्रदान किए। इनमें से कई वीरों को ये सम्मान मरणोपरांत दिए गए, जो उनकी सर्वोच्च बलिदान की गवाही देते हैं।
कीर्ति चक्र: वीरता का दूसरा सबसे बड़ा प्रतीक
भारत के शांतिकालीन वीरता पुरस्कारों में कीर्ति चक्र का स्थान दूसरा है। इस बार राष्ट्रपति ने छह वीरों को इस सम्मान से नवाजा, जिनमें से चार को मरणोपरांत यह पुरस्कार प्रदान किया गया। यह वीरता सम्मान ऐसे सैनिकों को दिया गया जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी या असाधारण साहस का प्रदर्शन किया।
सम्मान पाने वाले नामों में शामिल हैं:
- मेजर मल्ला राम गोपाल नायडू
 - मेजर मंजित
 - राइफलमैन रवि कुमार (मरणोपरांत)
 - कर्नल मनप्रीत सिंह (मरणोपरांत)
 - पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट (मरणोपरांत)
 - नाइक दिलवर खान (मरणोपरांत)
 
कर्नल मनप्रीत सिंह को यह सम्मान अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान वीरता के लिए मिला। उनके नेतृत्व में एक आतंकी मारा गया, लेकिन इस दौरान उन्हें भी जान गंवानी पड़ी।
शौर्य चक्र: शौर्य की 33 मिसालें
इस वर्ष 33 सुरक्षाकर्मियों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया, जिनमें से 7 को मरणोपरांत यह सम्मान मिला। यह पुरस्कार उन जवानों को दिया जाता है जिन्होंने चरम परिस्थितियों में साहसिक कार्य किए।
सम्मानित होने वालों में प्रमुख नाम हैं:
- विजय वर्मा, 44वीं बटालियन, राष्ट्रीय राइफल्स
 - विक्रांत कुमार, डिप्टी कमांडेंट, सीआरपीएफ
 - विंग कमांडर वर्नोन डेसमंड कीन, एयरफोर्स
 - दीपक कुमार, स्क्वाड्रन लीडर
 - अब्दुल लतीफ, SPO, जम्मू-कश्मीर पुलिस
 - सूबेदार संजीव सिंह जसरोटिया, जम्मू-कश्मीर राइफल्स
 - कर्नल पवन सिंह, 666 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन
 
इसके अलावा लिस्ट में कई अन्य वीर शामिल हैं, जैसे मेजर साहिल रंधावा, लेफ्टिनेंट कमांडर कपिल यादव, सूबेदार मोहन राम, कमोडोर शरद सिंसुन्वाल और अन्य।
वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को मरणोपरांत सम्मान
मेजर आशीष धोंचक, सिपाही प्रदीप सिंह, हवलदार रोहित कुमार, कैप्टन दीपक सिंह और अन्य को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया। विशेष रूप से कैप्टन दीपक सिंह, जिन्होंने अगस्त 2024 में एक मुठभेड़ में घायल होने के बावजूद आतंकियों को ढेर किया, उन्हें मरणोपरांत सम्मान दिया गया।
राष्ट्र की वीरता को नमन
इन वीर सैनिकों और पुलिसकर्मियों का सम्मान न केवल उनके बलिदान को याद करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता है। ये पुरस्कार इस बात के प्रतीक हैं कि भारत अपने सच्चे रक्षकों को कभी नहीं भूलता।