रील का जुनून बना जानलेवा, दो युवाओं की मौत ने फिर जगाई चेतावनी की घंटी
भंडारा में तालाब में डूबा युवक, दोस्त बनाते रहे वीडियो
सोशल मीडिया पर रील बनाने की होड़ एक बार फिर खतरनाक साबित हुई है। महाराष्ट्र के भंडारा जिले में 17 वर्षीय तीर्थराज बरसागड़े की जान चली गई, जब वह अपने दोस्तों के साथ एक खेत के पास तालाब में रील बना रहा था। हादसा रविवार शाम पवनी तहसील के चुल्हाळ गांव के पास हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीर्थराज रील बनाते समय गहरे पानी की ओर फिसल गया और डूबने लगा। वह मदद के लिए ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता रहा, लेकिन उसके दोस्त यह समझते रहे कि वह रील के लिए एक्टिंग कर रहा है। ऐसे में कोई उसे बचाने नहीं गया, बल्कि वे उसका वीडियो बनाते रहे। जब उन्हें सच्चाई का अहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और तीर्थराज के शव को बाहर निकाला गया। पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए शव के बाद पुलिस ने आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है। तीर्थराज को सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने का काफी शौक था और वह आए दिन वीडियो बनाकर पोस्ट करता था।
गया में ट्रेन से गिरा युवक, दूसरी ट्रेन की चपेट में आया
एक और घटना बिहार के गया ज़िले में हुई, जहां एक युवक की मौत रील बनाने के दौरान हो गई। जानकारी के मुताबिक, युवक अपने दोस्त के साथ ट्रेन से सफर कर रहा था। वह टनकुप्पा स्टेशन से गया-धनबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार था और चलती ट्रेन से रील बनाने की कोशिश कर रहा था।
इसी दौरान उसका संतुलन बिगड़ा और वह नीचे गिर गया। जैसे ही वह पटरी पर गिरा, दूसरी ओर से कोलकाता-जम्मू तवी एक्सप्रेस आ गई और युवक उसके नीचे आ गया। हादसे में युवक के दोनों पैर कट गए। उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अत्यधिक खून बहने के कारण इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
रील की दीवानगी बन रही है खतरा
इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या थोड़ी सी सोशल मीडिया की शोहरत के लिए ज़िंदगी को जोखिम में डालना उचित है? सिर्फ लाइक्स, व्यूज़ और शेयर पाने के लिए जान गंवा देना एक भयावह संकेत है।
समाज, अभिभावकों और शिक्षकों की ज़िम्मेदारी है कि वे युवाओं को समझाएं कि डिजिटल दुनिया और असल ज़िंदगी में संतुलन ज़रूरी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मनोरंजन और रचनात्मकता के लिए होते हैं, न कि जानलेवा स्टंट और जोखिम भरे वीडियो बनाने के लिए।
आज ज़रूरत इस बात की है कि हम रील और रियल के बीच की दूरी को समझें, ताकि कोई और तीर्थराज या गया का युवक इस दौड़ में अपनी जान न गंवा दे।