पुतिन चाहते हैं युद्ध खत्म हो, लेकिन शर्तों पर नहीं बनी सहमति
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वे यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए रूस की कुछ विशेष शर्तें हैं, जिन पर अभी तक किसी पक्ष ने कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। रूस ने यह स्पष्ट किया है कि अगर उसकी मांगे मानी जाती हैं तो वह युद्धविराम की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
रूस की प्रमुख मांगें
रूस की ओर से तीन प्रमुख शर्तें रखी गई हैं –
- यूक्रेन को नाटो जैसे सैन्य गठबंधन में कभी शामिल नहीं किया जाएगा।
- रूस द्वारा कब्जे में ली गई यूक्रेनी भूमि पर उसका पूरा अधिकार स्वीकार किया जाए।
- युद्ध के बाद यूक्रेन में यूरोपीय शांति सेना की तैनाती को लेकर पूरी योजना स्पष्ट की जाए।
इन मांगों पर अभी तक न तो अमेरिका की ओर से और न ही यूक्रेन की तरफ से कोई ठोस या औपचारिक जवाब आया है।
ट्रंप ने युद्धविराम के लिए उठाई आवाज
इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध को लेकर रूस से अपील की है कि वह हमलों को तुरंत रोके। ट्रंप का कहना है कि अगर बातचीत के साथ-साथ हमले भी जारी रहेंगे, तो किसी भी वार्ता के सफल होने की संभावना बेहद कम रह जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर रूस वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे पहले हमले रोकने होंगे और बातचीत को पूरी गंभीरता से आगे बढ़ाना होगा।
अमेरिका-रूस वार्ता पर उठे सवाल
गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध पर जो वार्ता चल रही है, उसमें यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया है। इस बात को लेकर यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगी देशों ने आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि किसी भी समाधान में यूक्रेन को केंद्र में रखा जाना चाहिए, क्योंकि युद्ध उसकी भूमि पर हो रहा है।
रूस के मिसाइल हमले से बिगड़ा माहौल
शुक्रवार को रूस द्वारा क्रिवी रीह शहर में किए गए मिसाइल हमले ने हालात को और तनावपूर्ण बना दिया। इस हमले में 20 लोगों की मौत हो गई, जिससे यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब युद्धविराम की संभावनाओं पर चर्चा हो रही थी।
शांति की राह अब भी कठिन
हालांकि पुतिन की ओर से युद्ध खत्म करने का इरादा जताया गया है, लेकिन रूस की शर्तें स्वीकार करना यूक्रेन और पश्चिमी देशों के लिए आसान नहीं है। ऐसे में शांति प्रक्रिया की राह अब भी लंबी और जटिल नजर आ रही है। सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या कोई कूटनीतिक हल निकल पाएगा या फिर संघर्ष और गहराएगा।