बरेली के पुराना शहर में जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान जोगी नवादा में विवाद उत्पन्न हो गया। यहां चार अंजुमनों में शामिल लगभग पांच सौ लोग मौर्य गली की ओर से निकलने का प्रयास कर रहे थे, जिसे दूसरे पक्ष के लोगों ने तीखा विरोध किया। पुलिस ने अंजुमनों के डीजे हटवा दिए, लेकिन विरोध कम नहीं हुआ। पुलिस ने भीड़ को समझाने और डपटने की कोशिश की, और कुछ मौकों पर पानी भी फेंका गया।
हर साल जोगी नवादा से चार अंजुमनें मौर्य गली होकर जुलूस-ए-मोहम्मदी में शामिल होती हैं, हालांकि अंजुमनों की संख्या सीमित रहती है और डीजे आदि ले जाने की परंपरा नहीं है। पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान से यहां दो समुदायों के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है।
इस साल सावन में धूमधाम से निकाली गई कांवड़ यात्रा को लेकर दूसरे पक्ष ने इसे गैर परंपरागत बताते हुए विरोध जताया था। इस विवाद को देखते हुए, इस बार जुलूस-ए-मोहम्मदी के अंजुमनों में लोगों की संख्या बढ़ा दी गई। अंजुमनों ने टेंपो में डीजे, लाउडस्पीकर और सुराही लगाकर धार्मिक नारे लगाए। जब ये लोग मौर्य गली की ओर बढ़े, तो मौर्य गली के लोग एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।
महंत राकेश कश्यप के नेतृत्व में लोगों ने धार्मिक नारे लगाना शुरू कर दिया। लगभग 150 मीटर दूर कब्रिस्तान के पास दूसरा पक्ष भी इकट्ठा हो गया और उन्होंने अपने धर्म से जुड़े नारे लगाने शुरू कर दिए। स्थिति को संभालने के लिए सीओ तृतीय एएसपी देवेंद्र कुमार और बारादरी इंस्पेक्टर अमित पांडेय ने पुलिस और पीएसी को मौके पर बुला लिया।
अधिकारियों ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया, एक पक्ष के गुस्से को देखते हुए अंजुमनों के डीजे हटवा दिए गए और लोगों की संख्या कम करने का निर्देश दिया गया। बावजूद इसके, लोग नहीं माने और देर रात सवा दो बजे तक अंजुमनों का जुलूस नहीं निकल सका।