प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन शुरू किया, बिहार की राजनीति में हलचल
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पटना में आमरण अनशन पर बैठकर बिहार की राजनीति में नया मोड़ ले लिया है। ‘पीके’ ने बीपीएससी छात्रों के समर्थन में यह कदम उठाया है, ठीक उसी तरह जैसे अन्ना हजारे ने देशव्यापी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान अनशन किया था। क्या प्रशांत किशोर बिहार के अरविंद केजरीवाल बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? यह सवाल अब बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बन चुका है।
बीपीएससी छात्रों के समर्थन में अनशन
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने बीते रविवार को बीपीएससी अभ्यर्थियों के मुद्दे को उठाया था। इस दौरान प्रशांत किशोर ने भी छात्रों की मांग का समर्थन किया था, जो बीपीएससी परीक्षा के परिणाम में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ थे। हालांकि, जैसे ही प्रशांत किशोर वहां से गए, पटना पुलिस ने छात्रों पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए। इस घटना के बाद विपक्षी पार्टियों ने प्रशांत किशोर पर भगोड़ा होने का आरोप लगाया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने छात्रों के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया।
क्या प्रशांत किशोर बिहार में नया राजनीतिक चेहरा बनने की दिशा में हैं?
प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन के माध्यम से बिहार सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने पहले ही घोषणा की थी कि यदि बीपीएससी छात्रों की मांग नहीं मानी जाती है, तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे। पीके ने इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार बीपीएससी परीक्षा को रद्द नहीं करती, तो वह आमरण अनशन शुरू कर देंगे। उन्होंने गुरुवार को इस बात का ऐलान किया था, और अब उन्होंने अपने वादे को निभाते हुए आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
प्रशांत किशोर और उनकी राजनीतिक यात्रा
पिछले अक्टूबर में प्रशांत किशोर ने बिहार में हजारों किलोमीटर पैदल यात्रा की थी और जन सुराज पार्टी का गठन किया था। हालांकि, बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी को निराशाजनक परिणाम मिले थे, जिससे पीके की आलोचना भी हुई। इस स्थिति में प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन का रास्ता अपनाकर बिहार में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने की कोशिश की है। यह कदम उन्हें एक नए दिशा में ले जाने वाला हो सकता है।
क्या प्रशांत किशोर बन सकते हैं बिहार के केजरीवाल?
प्रशांत किशोर का यह कदम उन्हें अरविंद केजरीवाल जैसा राजनीतिक चेहरा बना सकता है। साल 2012 में अन्ना हजारे के साथ आमरण अनशन करने के बाद, अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली की राजनीति में अपना दबदबा स्थापित किया। अगर प्रशांत किशोर का आमरण अनशन सफल होता है, तो वह बिहार में युवाओं के बीच एक नए हीरो के तौर पर उभर सकते हैं। हो सकता है कि आने वाले समय में वे बिहार के अरविंद केजरीवाल के रूप में खुद को स्थापित कर लें।
नए राजनीतिक परिवर्तन की ओर कदम
प्रशांत किशोर का आमरण अनशन सिर्फ छात्रों की मांग के समर्थन में नहीं है, बल्कि यह उनके राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा भी है। अगर यह आंदोलन सफल होता है, तो यह प्रशांत किशोर को बिहार के एक प्रभावी नेता के रूप में स्थापित कर सकता है। ऐसे में बिहार की राजनीति में आने वाले समय में कई बदलाव देखे जा सकते हैं, और प्रशांत किशोर शायद एक नए राजनीतिक परिवर्तन की ओर बढ़ते हुए दिखें।