एक बार फिर नोबेल पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप का नाम प्रस्तावित
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। यह नामांकन अमेरिका के प्रतिनिधि बडी कार्टर की ओर से किया गया है, जिन्होंने नॉर्वे की नोबेल समिति को पत्र लिखकर ट्रंप की कोशिशों को सराहा है। बडी कार्टर का कहना है कि ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान और इजरायल-ईरान के बीच तनाव को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाई है।
ईरान को परमाणु हथियारों से रोका, ट्रंप की भूमिका अहम
कार्टर ने अपने पत्र में लिखा है कि ट्रंप की नेतृत्व क्षमता ने न केवल इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष को नियंत्रित किया, बल्कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से भी रोका। कार्टर का मानना है कि ट्रंप ने दुनिया के सबसे बड़े आतंक प्रायोजक देश को बड़ा नुकसान पहुँचाने से रोका है, जो शांति स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
पहले भी हो चुके हैं नॉमिनेट
यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। इससे पहले भी अमेरिकी सांसद डेरेल इस्सा ने 2024 में ट्रंप की संभावित चुनावी जीत का हवाला देते हुए उन्हें नामांकित किया था। ट्रंप के समर्थकों का मानना है कि उनकी विदेश नीति ने कई वैश्विक संकटों को टालने में मदद की।
पाकिस्तान ने भी ट्रंप को बताया “शांति के प्रतीक”
इस मामले में पाकिस्तान भी पीछे नहीं रहा। पाक के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे की नोबेल समिति को एक पत्र लिखा है, जिसमें हालिया भारत-पाक तनाव के दौरान ट्रंप के कूटनीतिक हस्तक्षेप की सराहना की गई है। उन्होंने ट्रंप को “निर्णायक भूमिका” निभाने वाला नेता बताया है, और उनके लिए नोबेल पुरस्कार की सिफारिश की है।
क्या नोबेल के मापदंडों पर खरे उतरते हैं ट्रंप?
नोबेल शांति पुरस्कार उन लोगों या संस्थाओं को दिया जाता है, जिन्होंने वैश्विक शांति, राष्ट्रों के बीच भाईचारे और संघर्ष को रोकने में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। ट्रंप के समर्थकों का दावा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की पहल की थी और इजरायल-ईरान संघर्ष में भी सीजफायर कराने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि भारत सरकार ने इस दावे को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है।
कैसे होता है नोबेल पुरस्कार का चयन?
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हर वर्ष 1 फरवरी तक नामांकन स्वीकार किए जाते हैं। इसके बाद करीब आठ महीने की लंबी प्रक्रिया चलती है। नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त 5 सदस्यीय नोबेल समिति इस पर विचार करती है और अंतिम निर्णय लेती है। यह समिति दुनिया भर से आए नामांकनों की जांच करके विजेता का चुनाव करती है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नाम आना एक बार फिर वैश्विक चर्चाओं का विषय बन गया है। उनकी नीतियों और दावों पर सवाल भी हैं, लेकिन समर्थक उन्हें एक “शांति वाहक” के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या नोबेल समिति ट्रंप के इन प्रयासों को पुरस्कार योग्य मानती है या नहीं।